सरकारी अस्पतालों में किशोरियों को लगेगी एचपीवी वैक्सीन…

कानपुर:  महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए सरकारी अस्पतालों में जल्द कोरोना वैक्सीन जैसा अभियान चलेगा। अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए नौ से 14 साल उम्र की किशोरियों को एचपीवी वैक्सीन लगाए जाने अभियान की घोषणा की है।

मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत वर्ष 2030 तक देश को सर्वाइकल कैंसर से मुक्त कराने का लक्ष्य रखा गया है। देश में कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौत में सर्वाइकल कैंसर दूसरा प्रमुख कारण है। कानपुर में हर माह औसतन सर्वाइकल कैंसर पीड़ित 110 महिलाएं सामने आती हैं।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में आसपास के 18 जिलों से हर माह सर्वाइकल कैंसर के लक्षण वाली एक सैकड़ा महिलाएं इलाज को आती हैं। यहां उनकी स्क्रीनिंग की जाती है। इसमें प्रतिमाह औसतन 30 से 35 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से ग्रस्त मिलती हैं।

इनके अलावा हर माह औसतन सर्वाइकल कैंसर पीड़ित 18 से 20 महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। इसी तरह डफरिन अस्पताल में भी प्रतिमाह 10 से 15 महिलाएं स्क्रीनिंग में सर्वाइकल कैंसर पीड़ित मिलती हैं। इनके अलावा शहर के निजी अस्पतालों में सर्वाइकल कैंसर पीड़ित हर माह औसतन 25 महिलाएं इलाज को पहुंचती हैं।

वैक्सीन की कितनी डोज जरूरी

सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन अभी किसी सरकारी अस्पताल में नहीं लगाई जाती है। इसकी कीमत दो हजार से चार रुपये है। नौ से 14 साल की बच्चियों को छह माह के अंतराल में दो डोज, जबकि 15 से 45 साल उम्र की महिलाओं को इस वैक्सीन की तीन डोज लगाई जाती हैं।

इनमें खतरा रहता ज्यादा

– कम उम्र में विवाह वाली महिलाओं में

– 40 से अधिक उम्र वाली महिलाओं में।

– कई बार गर्भधारण करने वाली महिलाएं।

– अधिक लोगों से यौन संबंध वाली महिलाएं।

– मां या बहन को पेडू से जुड़ी समस्या रही हो।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

– संभोग के बाद, मासिक धर्म के दौरान या रजोनिवृत्ति के बाद योनि से रक्तस्राव।

– मासिक धर्म में रक्तस्राव का भारी होना या सामान्य से अधिक समय तक रहना।

– योनि से होने वाले स्राव से दुर्गंध आना।

– संभोग के दौरान पेल्विक हिस्से में दर्द होना।

इस तरह करें बचाव

– 9 से 18 वर्ष तक किशोरियों को एचपीवी वैक्सीन लगवाएं।

– माहवारी में कोई समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लें।

– पेडू का दर्द बना रहे तो नजरअंदाज न करें।

– 30 वर्ष के बाद साल में एक बार पैप स्मीयर जांच करवाएं

– अगर फैमिली हिस्ट्री है तो और भी सतर्क रहें।

 

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