बीएनपी सांसदों के इस्तीफे की रणनीति के सफल होने की संभावना कम

द ब्लाट न्यूज़ बांग्लादेश में प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के सांसदों के इस्तीफा देने के फैसले के बाद राजनीतिक तनाव बढ़ने के संकेत हैं। बीएनपी सांसदों ने तुरंत नए चुनाव की मांग पर जोर डालने के लिए संसद की सदस्यता से त्यागपत्र दिया है। इस बीच बीएनपी लगातार इसी मांग पर जोर डालने के लिए जन प्रदर्शन और रैलियां भी आयोजित कर रही है।

 

 

सत्ताधारी आवामी लीग ने बीएनपी की मांग को ठुकरा दिया है। अवामी लीग के महासचिव उबैदुल कादिर ने रविवार को कहा कि सात सांसदों के इस्तीफा दे देने से संसद पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वह अपना काम करती रहेगी। पिछले आम चुनाव में बीएनपी के सिर्फ सात सांसद ही चुने गए थे।

बीएनपी ने बीते शुक्रवार को अपनी सरकार विरोधी मुहिम के तहत 10वीं रैली आयोजित की थी। उस रैली में वक्ताओं ने वर्तमान संसद को तुरंत भंग करने और गैर-दलीय तटस्थ सरकार की देखरेख में नए चुनाव कराने की मांग की। बाद में इसी मांग के समर्थन में पार्टी सांसदों ने इस्तीफा दे दिया। उसके बाद से अवामी लीग के नेताओं ने बीएनपी की निंदा की मुहिम छेड़ रखी है। उबैदुल कादिर ने आरोप लगाया कि बीएनपी देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उन्होंने किया कि ये कोशिश नाकाम रही है। कादिर ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के नेतृत्व में ‘स्वतंत्रता संग्राम समर्थक ताकतें’ देश विरोधी शक्तियों को कुचल देंगी।

अवामी लीग के एक अन्य प्रमुख नेता मोहम्मद अब्दुर्रजाक ने कहा- ‘पिछली संसद में बीएनपी का एक भी सदस्य नहीं था। तब भी संसद ने अपना काम किया था। इसलिए सात बीएनपी सांसदों के इस्तीफा देने का कोई असर नही होगा।’ सूचना और प्रसारण मंत्री हसन महमूद ने आरोप लगाया है कि बीएनपी हिंसा और आतंकवाद के रास्ते पर चल रही है। उसके सांसदों ने लोकतंत्र के संचालन में रुकावट डालने के लिए इस्तीफा दिया है।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक बीएनपी ने 1994 के हालात को पुनर्जीवित करने की कोशिश मे अपने सांसदों से इस्तीफा दिलवाने की रणनीति अपनाई है। तब अवामी लीग के 147 सांसदों ने तुरंत चुनाव की मांग पर जोर डालने के लिए इस्तीफा दे दिया था। उसका असर तब हुआ था और तत्कालीन बीएनपी सरकार को तुरंत अगला चुनाव कराने पर मजबूर होना पड़ा था। लेकिन इस मौके पर बीएनपी के इस्तीफा देने वाले सांसदों की संख्या की इतनी कम है कि उससे अवामी लीग सरकार पर निर्णायक दबाव बनने की संभावना कम है।

उलटे सत्ताधारी अवामी लीग ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। संसद के स्पीकर शिरीन शरमिन चौधरी ने रविवार को कहा कि जिन सीटों से बीएनपी सदस्यों ने इस्तीफा दिया है, वहां 90 दिन के अंदर उप चुनाव कराए जाएंगे। तय कार्यक्रम के मुताबिक बांग्लादेश में संसदीय आम चुनाव 2024 के आरंभ में होंगे। पहले बांग्लादेश में आम चुनाव तटस्थ सरकार के तहत कराने का प्रावधान था। लेकिन शेख हसीना सरकार ने 2011 में इस प्रावधान को खत्म कर दिया। इसलिए अब चुनाव वर्तमान सरकार की देखरेख में ही होंगे।

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