17 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच श्रीलंका में होंगे राष्ट्रपति चुनाव

कोलंबो। श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव आगामी 17 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच कराये जायेंगे। देश के चुनाव आयोग की ओर से गुरुवार को जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि चुनाव आयोग की निहित शक्तियों के आधार पर राष्ट्रपति चुनाव कराया जायेगा। आयोग ने कहा कि वह श्रीलंका के संविधान और राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर राष्ट्रपति चुनाव कराने के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू करेगा।

इससे पहले श्रीलंकाई मीडिया एडा डेराना ने अपनी रिपोर्ट में आयोग 17 जुलाई के बाद राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिये उम्मीदवारों से आवेदन स्वीकार करेगा। श्रीलंका के संविधान के मुताबिक देश में राष्ट्रपति चुनाव इस साल नवंबर से पहले कराया जाना अपरिहार्य है। राष्ट्रपति को पाँच वर्ष और अधिकतम दो कार्यकाल के लिए चुना जाता है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 2019 में पिछला चुनाव जीता था, लेकिन विरोध के बीच जुलाई 2022 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और रानिल विक्रमसिंघे ने उनकी जगह ली थी।

संयुक्त राष्ट्र ने सूखा प्रभावित जिम्बाब्वे के लिए देशों से की 43 करोड़ डॉलर की सहायता की अपील
हरारे। संयुक्त राष्ट्र की मानवीय मामलों से जुड़ी एजेंसी ने गुरुवार को बताया कि जिम्बाब्वे में चार दशक में सबसे भीषण सूखा पड़ा है और देश की लगभग आधी आबादी को पेयजल और खाद्य पदार्थों की तत्काल आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र ने जिम्बाब्वे के लिए 43 करोड़ डॉलर की सहायता की अपील की है। मानवीय मामलों के समन्वय से संबंधित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने बताया कि देश की एक करोड़ 50 लाख की आबादी में से 76 लाख लोगों को आजीविका चलाने और जीवन रक्षा के लिए मानवीय सहायता की आवश्यकता है।
कि हम सबसे गंभीर रूप से प्रभावित जिलों के 31 लाख लोगों की तत्काल मदद की अपील कर रहे हैं। अल नीनो के कारण दक्षिणी अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में सूखा पड़ा है, जिस कारण मानव और पशुओं के समक्ष खाद्य पदार्थों तथा पानी की घोर कमी है। जिम्बाब्वे कृषि पर निर्भर देश है और एक समय में ये खाद्य पदार्थों का निर्यातक था लेकिन वर्तमान में सूखा पड़ने से सबसे ज्यादा प्रभावित है।

Check Also

रूस ने अमेरिका को क्यों लगाई फटकार…

रूस ने दावा किया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के संसदीय चुनावों में हस्तक्षेप …