एकलव्य आदर्श विद्यालय की स्थापना समयसीमा के अनुसार नहीं होने पर संसदीय समिति ने निराशा व्यक्त की

 

 

 

द ब्लाट न्यूज़ । संसद की एक समिति ने एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालयों की स्थापना निर्धारित लक्ष्य एवं समयसीमा के अनुसार नहीं होने और लक्ष्य को संशोधित करने पर निराशा व्यक्त करते हुए निर्धारित मानदंडों एवं समय सीमा का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये कठोर आंतरिक तंत्र बनाए जाने की सिफारिश की है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रमा देवी की अध्यक्षता वाली सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय संबंधी संसद की स्थायी समिति की ‘‘एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालयों के कार्यकरण की समीक्षा’’ शीर्षक से सोमवार को लोकसभा में पेश रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

समिति ने इस बात को नोट किया है कि मूल लक्ष्य में यह निर्धारित है कि 12 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमडीबीएस) सहित 452 नये आदर्श एकलव्य आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की स्थापना वर्ष 2022 तक की जायेगी लेकिन अब तक इनका कार्य पूरा नहीं हुआ है तथा इन्हें पूरा करने के लक्ष्य को संशोधित करके वर्ष 2025 कर दिया गया है।

 

समिति ने इस बात पर हैरानी जतायी है कि चरणबद्ध योजना के अनुसार, वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच मंजूरी के लिये प्रस्तावित 452 विद्यालयों में से केवल 350 विद्यालयों को मंजूरी दी जा सकी और शेष 102 स्कूलों को मंजूरी दिया जाना अभी शेष है क्योंकि स्थान को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘यह निराशाजनक है कि आज तक मात्र 100 विद्यालयों का निर्माण कार्य शुरू हो सका है जबकि मार्च 2022 तक 332 विद्यालयों का निर्माण कार्य शुरू होना था।’’

समिति इस तथ्य से निराशा व्यक्त करती है कि मंजूरी के लिये प्रस्तावित विद्यालयों की संख्या और मंजूरी प्राप्त स्कूलों की संख्या सहित निर्माण कार्य के लिये निर्धारित समय सीमा में भी पर्याप्त अंतर है।

समिति यह भी पाती है कि मंत्रालय निर्माण कार्य पूरा करने के लिये निर्धारित 24 माह की मानक समय सीमा का पालन करने में भी असफल रहा। ऐसा इसलिये क्योंकि वर्तमान स्थिति दर्शाती है कि आज की तारीख तक 350 विद्यालयों में से मात्र 174 विद्यालयों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट एवं मास्टर ले-आउट प्लान बनी और 100 विद्यालयों का निर्माण कार्य शुरू हो सका है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चिंता की बात यह है कि केवल कुछ विद्यालयों के अपने भवन है क्योंकि मात्र 20 स्कूल ही अपने भवनों से संचालित हैं।

समिति चाहती है कि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये मंत्रालय कार्य प्रगति की सघन निगरानी करे और निर्धारित मानदंडों एवं समय सीमा का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये कठोर आंतरिक तंत्र बनाए।

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