राष्ट्रपत्नी विवाद: महिला शिक्षाविदों, पू्र्व नौकरशाहों ने शाह से अधीर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

 

द ब्लाट न्यूज़ । महिला शिक्षाविदों और पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की एक विवादास्पद टिप्पणी को लेकर उनके (चौधरी के) खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की, ताकि इस तरह के ‘लैंगिक और अपमानजनक’ आचरण की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

चौधरी ने पिछले हफ्ते मीडिया से बातचीत के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू के लिए ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द का इस्तेमाल किया था।

शाह के नाम लिखे एक खुले पत्र में महिला शिक्षाविदों और पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने कहा कि अधीर की टिप्पणी से प्रत्येक सांसद की संवेदनाएं आहत हुई हैं और हर देशभक्त भारतीय ने ‘भारत राष्ट्र की एक महिला प्रमुख के प्रति की गई इस अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दुख और गुस्सा’ महसूस किया है।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 51 सदस्यों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी गौरी कुमार और के. रत्नप्रभा, झारखंड की पूर्व पुलिस महानिदेशक निर्मल कौर, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की पूर्व अध्यक्ष सुधा शर्मा, सीबीडीटी की पूर्व सदस्य सरोज बाला और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति संगीता शुक्ला शामिल हैं।

अधीर की इस टिप्पणी ने एक सियासी विवाद पैदा कर दिया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा संसद में यह मुद्दा उठाए जाने और कांग्रेस आलाकमान पर निशाना साधे जाने के बाद अधीर ने शुक्रवार को मुर्मू से लिखित रूप से माफी मांगी थी। कांग्रेस नेता ने कहा था कि उनकी जुबान फिसल गई थी और उन्होंने गलती से राष्ट्रपति के लिए गलत शब्द का इस्तेमाल कर दिया था।

पत्र में महिला शिक्षाविदों और पूर्व नौकरशाहों ने इस बात का जिक्र किया है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाली देश की पहली राष्ट्रपति मुर्मू का अपमान किये जाने को लेकर अधीर से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है।

उन्होंने कहा, “हम गृहमंत्री से अधीर के खिलाफ कानून के तहत उचित कार्रवाई करने की अपील करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ऐसे लैंगिक और अपमानजनक आचरण की पुनरावृत्ति नहीं होगी।”

महिला शिक्षाविदों और पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि ‘राष्ट्रपति’, ‘सेनापति’ और ‘सभापति’ जैसे शब्द आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन अगर कोई महिला ऐसे पद पर आसीन हों तो उसके लिए ‘राष्ट्रपत्नी’, ‘सेनापत्नी’ और ‘सभापत्नी’ जैसे शब्दों का प्रयोग पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

उन्होंने आरोप लगाया, “श्रीमति मुर्मू को ‘कठपुतली’ और ‘बुराई का प्रतीक’ बताकर कांग्रेस उन पर उस वक्त से गलत इरादे से हमले कर रही है, जब से वह राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार बनाई गई थीं।”

महिला शिक्षाविदों और पूर्व नौकरशाहों ने यह भी उल्लेख किया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को दोनों वंचित समुदायों के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए लागू किया गया था। उन्होंने कहा कि दोनों सामाजिक समूहों से जुड़े किसी भारतीय नागरिक का जानबूझकर सार्वजनिक रूप से अपमान करना भी इस अधिनियम के तहत अपराध है।

उन्होंने कहा, “अधीर ने स्पष्ट रूप से आदिवासी समुदाय से आने वाली देश की पहली राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मू का सार्वजनिक तौर पर अपमान किया है। उनका ‘अपराध’ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 और 509 के तहत भी दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।”

 

 

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