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सुल्तानपुर(आरएनएस)। हजरत इमाम हुसैन अ0स0 के जन्म दिवस पर एक तरही महफिल शेरो शायरी का आयोजन मौलाना आसिफ नकवी की अध्यक्षता में किया गया और जिसके मुख्य अतिथि रजमी सुलतानपुरी व जरगाम सुलतानपुरी रहे। जिसमें सबसे पहले इसकी शुरूआत तलावते कुरान पाक से मौलाना आसिफ नकवी ने किया। संचालन हैदर सुलतानपुरी ने किया। इसके बाद सुलतानपुर के प्रसिद्ध शायर रजमी सुलतानपुरी नकी रजा सुलतानपुरी जरगाम सुलतानपुरी नसीम सुलतानपुरी मजाहिर सुलतानपुरी काजिम सुलतानपुरी हैदर सुलतानपुरी जीशान सुलतानपुरी अली हैदर सुलतानपुरी मौलाना आसिफ नकवी सुलतान सुलतानपुरी आलम सुलतानपुरी फखरे आलम सुलतानपुरी हसन अली सुलतानपुरी मौलाना मोहम्मद जाफर खान ने अपना तरही कसीदा पेश किया।
काजिम सुलतानपुरी ने शेर पढ़ा न रूक सकेगा फजायल तेरा जमाने में’ ये उम्र दार पे गुजरे की कैद खाने में ‘जरगाम सुलतानपुरी ने शेर पढ़ा उड़ी है नीन्द यह सुनते ही कुफ्रो बातिल की’हुसैन आते हैं वह देखिये जमाने में ।आसिफ नकवी ने पढ़ा फकत यह काम है बदले मे जिसके जन्नत है’बहिश्त मिलती है रोने मेंऔर रूलाने में’नकी रजा सुलतानपुरी ने पढ़ा कभी यह सोचा जो आता जरी तो क्या होता ‘है इनकेलाब जो असगर के मुसकुराने में ‘ नसीम सुलतानपुरी ने पढ़ा अजाये शाह है मसरूफ यह बताने में ‘हुसैन आज भी मौजूद है जमाने में’ मजाहिर सुलतानपुरी ने पढ़ा जुबाॅ की तेग से बातिल को मारने वाले’ मिलेंगे ऐसे गजनफर इसी घराने में ‘ सुलतान सुलतानपुरी ने पढ़ा नहीं है तुजझ सा सखी कोई ऐ अबू तालिब ‘ निसार कर दी सब औलाद दीं’ बचाने मे’ हैदर सुलतानपुरी ने कहा जबीं को सजदे में रखा तो रब की आयी सदा’जवाबे सिब्ते पयम्बर नहीं जमाने में ‘ अली हैदर सुलतानपुरी ने पढ़ा जो बात हक की हो तो हंस के जान दे देना ‘ नेहाॅ था राज यह असगर के मुस्कुराने में ‘आलम सुलतानपुरी ने पढ़ा ‘नमाजी हम को मिले जैसे करबला वाले ‘ मिले न ऐसे नमाजी कहीं जमाने में ‘जीशान सुलतानपुरी ने पढ़ा बेनाये काबा है आसान करबला मुशकिल ‘लुटाना पड़ता है घर करबला बसाने में ‘ यह जानकारी हैदर अब्बास खान अध्यक्ष हुसैनी शिया वेलफेयर एसोसिएशन सुलतानपुर ने दी है ।