भोपाल : विधानसभा चुनाव में अमित शाह का फोकस बूथ मैनेजमेंट पर होगा, बोबीसी आरक्षण और जनजातीय जनगणना पर  

भोपाल : । मंडल और कमंडल के बाद मध्य प्रदेश का 50 फीसदी महिला वोट बैंक भी भाजपा की तरफ खिसकता नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिवस भाजपा मुख्यालय पर महिलाओं को संबोधित करते हुए स्पष्ट संकेत दिए कि भाजपा महिला आरक्षण को चुनाव में इन कैश करने जा रही है। इसी के साथ संगठन में शीर्ष स्तर पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। केंद्रीय संसदीय बोर्ड, केंद्रीय चुनाव समिति और राष्ट्रीय महासचिव पैनल में महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित किए जाने की कोशिशें प्रारंभ हो गई हैं। राजमाता विजयराजे सिंधिया और सुषमा स्वराज के बाद भाजपा के सर्वोच्च निकाय संसदीय बोर्ड में महिलाओं की मौजूदगी नगण्य रही है। पार्टी सुनिश्चित करेगी कि संसदीय बौर्ड में कम से कम तीन महिला सदस्य रहें। इसी के साथ केंद्रीय चुनाव समिति में भी महिलाओं की मौजूदगीसुनिश्चित करने की योजना बन रही है। भाजपा ने अभी मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में उपाध्यक्ष और मंत्री पद पर महिलाओं के लिए आरक्षण रखा है लेकिन अब महासचिव के पद पर भी महिलाओं को लाना सुनिश्चित करने के लिए कम से कम दो पद महिलाओं को दिए जाने की राष्ट्रीय करने के लिए कम से कम दो पद महिलाओं को दिए जाने की राष््रट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर कोशिश होगी। भाजपा आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में 15 फीसदी महिलाओं को टिकट देने के लक्ष्य पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो योजना बनाई है उसी के अनुरूप भाजपा का बचा हुआ टिकट वितरण प्रदेश में होने वाला है। भाजपा की कोशिश रहेगी कि मध्यप्रदेश के टिकट वितरण में 15 फीसदी महिलाओं को और कम से कम 30 फीसदी टिकट ओबीसी को दिए जाएं। ओबीसी के माले में भाजपा का ट्रैक रिकार्ड बहुत अच्छा है। पार्टी के 85 सांसद ओबीसी हैं और प्रदेश में भी उसके पास 25 फीसदी से अधिक ओबीसी विधायक हैं। पार्टी ने पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में भी सामान्य सीटों पर अधिक से अधिक ओबीसी उम्मीदवार लड़ाए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ओबीसी वर्ग से आते हंै। इसलिए भाजपा को ओबीसी की चिंता नहीं है। संघ परिवार के कारण हिंदुत्व के मुद्दे पर भी कांग्रेस भाजपा को मात नहीं दे सकती है। इस कारण से भाजपा ने मंडल और कमंडल दोनों मुद्दे अपने पास रखे हुए हैं। महिला आरक्षण कानून के कारण अब पार्टी के पास महिला वोट बैंक भी आता नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत दिवस ही लाड़ली बहना योजना को 21 वर्ष की उम्र तक ले जाने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि महत्वाकांक्षी लाड़ली बहना होने वाली हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत मिलने वाले लाभ अलग से हैं। इस तरह से भाजपा ने एक बड़ा वोट बैंक अपनी तरफ करने के ठोस प्रयास किए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महिलाओं में लोकप्रियता जानी-मानी जाती है। ऐसे में भाजपा के पास मंडल और कमंडल के बाद महिलाओं का वोट बैंक भी मजबूत होता जा रहा है। कांग्रेस जातीय जनगणना के मामले में भी भाजपा को घेरना चाहती है। इसी वजह से कमलेश्वर पटेल ही सीडब्ल्यूसी मेंबर बनाया गया और जीतू पटवारी को चुनाव अभियान समिति का सहसंयोजक बनाकर ओबीसी वर्ग को बड़ा संदेश देने की कोशिश कांग्रेस ने की है। राहुल गांधी महिलाओं में ओबीसी आरक्षण और जातीय के जनगणना को बड़ा मुद्दा बनाने वाले हैं। भाजपा के पास इन दोनों मुद्दों की काट विश्वकर्मा योजना और रोहिणी आयोग की सिफारिश के कारण पहले से ही है। तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस का चुनाव अभियान अभी भी भाजपा के मुकाबले कमजोर नजर आता है। कमलनाथ ने मैदान पकडऩे की कोशिश करना प्रारंभ कर दी है लेकिन भाजपा मैदानी राजनीति के मामले में कांग्रेस से काफी आगे है। कांग्रेस की जन आक्रोश यात्राएं निकल रही हैं। दूसरी तरफ भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रासएं अपने गंतव्य की ओर पहुंचने वाली है। इन यात्राओं का समापन 25 सितम्बर को भाजपा के जम्बूरी मैदान में होगा। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दस लाख कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पार्टी के टिकट वितरण की प्रक्रिया को 30 सितम्बर तक समाप्त करना चाहते हैं। इसके बाद उनका फोकस प्रचार अभियान को गति देने और मतदान केंद्र प्रबंधन पर होगा।
अनिल पुरोहित

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