THE BLAT NEWS:
इंदौर। बिजली कंपनी में जो प्रभावी अफसर बैठे हैं उनकी मनमानियों के आगे प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त मप्र की परिकल्पना बेमानी नजर आती है। इसका उदाहरण है फीडबैक इन्फ्रा प्रा.लि. भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नवम्बर में इस कम्पनी का ठेका टर्मिनेट करने में भी अफसरों ने घपला कर दिया। जिसका फायदा उठाकर कम्पनी कोर्ट चली गई। कोर्ट-कचहरी के चक्कर में आठ हजार करोड़ की रिवेस्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसी का चयन नहीं हो सका। जबकि योजना के तहत तीन हजार करोड़ के टेंडर हो चुके हैं, काम भी ठेकेदारों ने शुरु कर दिया। फीडबैक पर बिजली कंपनी में बैठे अफसर कितने मेहरबान हैं, इसका खुलासा हो चुका है। इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) में श्रेमा पॉवर ने जो दस करोड़ के फर्जी बिल लगाए थे
उन्हें वेरिफाई करके भुगतान के लिए फीडबैक ने ही आगे बढ़ाया था। खुलासे और शिकायतों के बाद क्षेमा को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। 25 मार्च 2022 को आरडीएसएस के लिए निकाले गए पीएमए का ठेका जिसकी लागत 61.52 करोड़ आंकी गई थी, 19.04 करोड़ रुपए में फीडबैक को दे दिया। अनुबंध 29 सितम्बर 2022 को हुआ। ऊर्जा मंत्री प्रद्मुन सिंह तोमर और पीएससंजय दुबे ने इस पर आपत्ति जताई। मंत्री और पीएस के दबाव में एमडी अनिल तोमर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर एसएल कलवाडिय़ा की जोड़ी ने फीडबैक की सात दिन का नोटिस दिया कार्रवाई से भी मंत्री-पीएस ने नाराजगी जताई। इस पर कम्पनी का कान्ट्रेक्ट अफसरों ने आनन-फानन में टर्मिनेट किया।