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इंदौर। मप्र हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के भरण पोषण देने के आदेश को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी अवैध है। ऐसे में दूसरे पति से महिला को किसी तरह कीराहत पाने का अधिकार नहीं है। मामले मतें तथ्य है कि याचिकाकर्ता ने अगस्त 2017 में जिस महिला से सामूहिक विवाह समारेाह में शादी की थी, वह पहले से शादीशुदा थी। बाद में महिला ने उसे छोड़ कर चली गई और फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण का प्रकरण लगा दिया। इस फेमिली कोर्ट ने दस हजार रुपए महीने भरण-पोषण देने का आदेश पारित किया।
इस पर महिला के दूसरे पति ने फैमिली कोर्ट के भरण-पोषण आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसकी ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए बताया कि महिला का विवाह गैरकानूनी था और वह खुद छोड़कर चली गई। महिला की ओर से अधिवक्ता ने दलील दी कि उसने पहले पति से सहमति के आधार पर तलाक लिया था और उसके बाद याचिकाकर्ता से दूसरी शादी की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल अदालत को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक देने का अधिकार है। चूंकि महिला ने अपने पहल पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है, क्योंकि उसका विवाह अवैध है।
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