मां कात्यानी मंदिर में दर्शन करने वालों की उमड़ी भीड़ 

 कानपुर देहात, संवाददाता। चैत्र नवरात्रि में यमुना नदी के किनारे कथरी गांव स्थित मां कात्यानी मंदिर के दर्शन करने वाले भक्तों की भीड़ उमड़ती है भोर पहर से ही मंदिर परिसर में लंबी कतारें लग जाती है नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यानी का पूजन किया जाता है प्रदेश के कई जिलों से भक्त मां के दरबार में माथा टेक कर मन्नते मांगने के लिए आते हैं पूरे साल मंदिर में बच्चों के मुंडन संस्कार के साथ ही अन्य धार्मिक कार्य होते रहते हैं माता के मंदिर चैत्र और शारदीय नवरात्र के अवसर पर मेला लगता है भोगनीपुर तहसील विकासखंड अमरौधा क्षेत्र के कथरी गांव गांव की पहचान मां कात्यानी देवी के नाम से ही है कथरी गांव के अलावा आसपास गांव के बुजुर्ग ठाकुर प्रसाद भूप सिंह राम कपूरे बताते हैं।की करीब 500 वर्ष पूर्व शाहजहांपुर के राजा गजाधर थे।

जिनकी कोई संतान नहीं थी जबकि राजा ने कई मंदिरों में मन्नते मांगी लेकिन संतान की उत्पत्ति नहीं हुई वही राजा गजाधर को मां कात्यानी ने सपना दिया सपने में बताया कि कथरी गांव के सुनाव या सोन नदी मैं मूर्त पड़ी है उस मूर्ति को उठाकर गांव के रखवा दो तो संतान की प्राप्ति होगी ऐसे में गजाधर राजा चिंतित हो गया और गांव के लोगों को ले जाकर देखा गया तो वास्तव में पत्थर की मूर्ति मां कात्यायनी की दिखी राजा गजाधर ले बैलगाड़ी के द्वारा पत्थर की मूर्ति को निकलवा कर करील के पेड़ के पास रख दी गई कुछ दिन बाद राजा गजाधर को एक संतान की प्राप्ति हुई तभी राजा ने कथरी गांव में मां कात्यायनी का भव्य मंदिर का निर्माण कराया गांव क्षेत्र कई जिलों में मां कात्यायनी का मंदिर एक चर्चा का विषय बन गया जबकि कथरी गांव में साल में दो बार मेला लगता है और जवारे और सांग छिदा कर भक्त मन्नते मांगते हैं।

 

रास्ते में कथरी गांव के पास सुनाव के पास राजा का रथ फस गया सैनिकों की लाख कोशिश के बाद भी रथ नाले से नहीं निकल पाया इस राजा ने बुजुर्ग सेना पति की सलाह मानकर मूर्ति को सुनाव नाला के पास एक करील के ब्रज के नीचे स्थापित कर दी गई गांव के लोग मूर्त की पूजा पाठ करने लगे मान्यता है कि माता ने एक रामदीन नामक बुजुर्गों स्वपन दिया की मूर्त को गांव के नजदीक एक स्थान पर स्थापना कर दें रामदीन ने गांव के किनारे एक टीले पर मूर्ति की स्थापना करा दी और चारों तरफ से चहारदीवारी करा दी गई बताते हैं कि अंग्रेजी शासन में दौरान शाहजहांपुर के राजा गजाधर एक जमीदार ब्राह्मण थे उनके कोई भी संतान नहीं थी मां कात्यायनी के मंदिर में माथा टेकने से राजा गजाधर की एक संतान उत्पत्ति हुई ऐसे में राजा गजाधर ने मंदिर का निर्माण कराया और बने तालाब आदि का निर्माण कराया जबकि माता के मंदिर मैं कई जिलो और प्रदेश के लोगो का आना-जाना बना रहता है।

परंपरा के अनुसार माता कात्यायनी के मंदिर में हर सोमवार को बड़ी दूर-दूर से भक्त गण आते हैं कानपुर देहात के सीमावर्ती जालौर जिले के चुर्खी पाल सरैनी नियामतपुर सिकन्या दहेलखडं के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों से भक्त गढ आंतें हैं नौ देवियों में एक है मां कात्यानी देवी नवरात्रि की नौ देवियों में एक है मां कात्यानी जानकार बताते हैं कि द्वापर युग में माता कात्यायनी यमुना नदी के किनारे स्थित है कण नगरी के राजा कम को दान करने के लिए प्रति देने सवा मन सोना स्वर्ण आभूषण देतै थे इसे कण दान कहते हैं कौरव व पांडव के बिनानी बिनास के बाद कण नगरी का नाम कण खेड़ा रखा गया था 8 वीं पीढ़ी कर रही सेवा कथरी गांव के कात्यानी मंदिर के पुजारी श्री बाबू भट्ट ने बताया कि उनके पूर्वज वर्षा से माता की सेवा करते आ रहे हैं पुजारी के अनुसार वह आठवीं पीढ़ी से है आठ पिढियो से उनके पूर्वज मां की सेवा में लगे हैं पूरे साल मंदिर में मुंडन कन्या भोज रामायण पाठ का आयोजन किया जाता है ऐसे पहुंचे मंदिर ऐतिहासिक मंदिर कात्यानी कथरी गांव पहुंचने के लिए भोगनीपुर से औरैया इटावा जाने वाले मुगल मार्ग से बस ऑटो या टेंपो से शक्ति थाना के पास कस्बा शाहजहांपुर पहुंचे कस्बा पहुंचकर चौराहे से टैक्सी से कतरी गांव पहुंचकर मां कात्यानी देवी मंदिर पहुंचते हैं।

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