यशवंत सिन्हा बनाम द्रौपदी मुर्मू : भारत के सांसदों, विधायकों ने 15वें राष्ट्रपति के लिए मतदान किया

 

द ब्लाट न्यूज़ । देश भर के सांसदों और विधायकों ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा में से किसी एक को भारत के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर चुनने के लिए सोमवार को मतदान किया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दबदबे और बीजू जनता दल (बीजद), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन के साथ मुर्मू की वोट हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई तक पहुंचने की संभावना है और वह सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने वाली आदिवासी समुदाय की पहली नेता और दूसरी महिला होंगी।

सांसदों ने संसद के कक्ष संख्या-63 में बनाए गए मतदान केंद्र में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। वहीं, विधायकों ने राज्य विधानसभाओं में मतदान किया। लगभग 4,800 निर्वाचित सांसद और विधायक चुनाव में वोट देने के हकदार हैं, लेकिन मनोनीत सांसदों और विधायकों, और विधान परिषद के सदस्यों को यह अधिकार नहीं है।

मतदान के रफ्तार पकड़ने और अंतिम परिणाम स्पष्ट प्रतीत होने के बीच सिन्हा (84) ने सांसदों और विधायकों से अपनी ‘अंतरात्मा की आवाज’’ सुनने और उनका समर्थन करने की अपील की। सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने बार-बार कहा है कि यह चुनाव इस मायने में देश की दिशा तय करेगा कि भारत में लोकतंत्र रहेगा या फिर धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। अभी संकेत यही मिल रहे हैं कि हम लोकतंत्र के खत्म होने की दिशा में बढ़ रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोई व्हिप नहीं है। यह गुप्त मतदान है।’’ सिन्हा ने कहा कि उनकी सभी सांसदों और विधायकों से अपील है कि वे लोकतंत्र बचाने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करें और उन्हें निर्वाचित करें। सिन्हा ने यह भी कहा कि वह सिर्फ राजनीतिक लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि सरकारी एजेंसियों के खिलाफ भी लड़ रहे हैं। सिन्हा ने कहा, ‘‘सरकारी एजेंसियां बहुत सक्रिय हो गई हैं, वे राजनीतिक दलों में तोड़फोड़ की वजह बन रही हैं, वे लोगों को एक खास तरह से मतदान करने के लिए विवश कर रही हैं और इसमें पैसे का खेल भी शामिल है।’’

मतगणना 21 जुलाई को होगी और अगले राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे। नतीजा पहले से ही स्पष्ट प्रतीत होता है लेकिन कुछ स्थानों पर पार्टी रुख से अलग मतदान की अटकलों के कारण मुकाबला रोचक बन गया है।

पिछले महीने संपन्न राज्यसभा चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ करने वाले हरियाणा के कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भी अपने विवेक के हिसाब से मतदान किया। सिन्हा के बजाय मुर्मू का समर्थन करने का संकेत देते हुए बिश्नोई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्यसभा चुनाव की तरह ही मैंने इस चुनाव में भी अपने विवेक के हिसाब से मतदान किया है।’’

मुंबई में, भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहे कांग्रेस के कुछ विधायक अपने विवेक के अनुसार मुर्मू के पक्ष में मतदान करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहे कांग्रेस के कुछ विधायक इस बार भी अपने विवेक का इस्तेमाल करेंगे।’’

शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने राष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करते हुए कहा कि पंजाब से जुड़े कई मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं और पार्टी नेतृत्व ने राजग उम्मीदवार मुर्मू को समर्थन देने का फैसला करने से पहले उनसे सलाह नहीं ली थी। दाखा से विधायक अयाली ने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह अपनी इच्छा के मुताबिक ही राष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं और मुर्मू को समर्थन देने का फैसला करने से पहले पार्टी नेतृत्व ने उनसे या सिख समुदाय से सलाह नहीं ली थी।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (89) और समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (82) राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने के लिए व्हीलचेयर से संसद भवन पहुंचे। मनमोहन सिंह पिछले साल कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद से अस्वस्थ हैं। वह महामारी की दूसरी लहर के चरम पर होने के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ गए थे। मुलायम भी काफी समय से बीमार हैं। पिछले साल उन्हें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के चलते कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप्त कुमार नाइक राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने के लिए अस्पताल से सीधे संसद परिसर पहुंचे। वह व्हीलचेयर पर बैठकर ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ संसद भवन में दाखिल हुए। नाइक ओडिशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। उन्हें कोविड-19 संक्रमण के बाद की स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पटना में, करीब एक महीने पहले सड़क हादसे का शिकार हुए भाजपा विधायक मिथिलेश कुमार स्ट्रेचर पर वोट डालने पहुंचे। चेन्नई में, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, सचिवालय परिसर में मतदान करने आए। कोविड-19 से उबरने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने पर वह सीधे मतदान केंद्र पहुंचे। विभिन्न शहरों के अन्य शुरुआती मतदाताओं में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ-साथ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शामिल थे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हो रहा है और हर चुनाव देश के लोगों के लिये उत्सव के समान होता है। उन्होंने सदस्यों से कहा, ‘‘हम सभी को राष्ट्रपति चुनाव उत्सव के रूप में मनाना चाहिए।’’ लोकसभा अध्यक्ष ने सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि सदस्यों को इस उत्सव में भाग लेना चाहिए।

राष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान की प्रणाली का पालन किया जाता है और पार्टियां अपने सांसदों और विधायकों को मतदान के संबंध में व्हिप जारी नहीं कर सकती हैं। जम्मू कश्मीर में विधानसभा न होने के कारण इस राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के वोट का मूल्य 708 से घटकर 700 हो गया है।

एक विधायक के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है। उत्तर प्रदेश में यह मूल्य 208 है, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु में 176 है। महाराष्ट्र में यह 175 है। सिक्किम में, प्रति विधायक वोट का मूल्य सात है, जबकि नगालैंड में यह नौ और मिजोरम में आठ है।

एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक निर्वाचक उतनी वरीयताएं अंकित कर सकता है, जितने उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। उम्मीदवारों के लिए इन प्राथमिकताओं को मतदाता द्वारा मतपत्र के कॉलम 2 में वरीयता क्रम में उम्मीदवारों के नाम के सामने अंक 1,2,3, 4, 5 और इसी तरह रखकर चिह्नित किया जाता है।

निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, सांसदों को हरे रंग का मतपत्र मिलता है, वहीं विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र मिलता है। अलग-अलग रंग से निर्वाचन अधिकारियों को प्रत्येक विधायक और सांसद के वोट के मूल्य का पता लगाने में मदद मिलती है।

मतदान की गोपनीयता बनाए रखने का आह्वान करते हुए, निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को अपने मतपत्रों को चिह्नित करने के लिए बैंगनी स्याही के साथ विशेष रूप से डिजाइन की गई कलम जारी की।

मुर्मू 64 साल की उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति बन सकती हैं। उन्होंने सोमवार को कोई बात नहीं की, लेकिन रविवार को कहा था कि उनकी उम्मीदवारी से आदिवासी और महिलाएं खुश हैं। मुर्मू के हवाले से कहा गया कि राजग सांसदों की एक बैठक में उन्होंने कहा, ‘‘700 से अधिक समुदायों वाले लगभग 10 करोड़ आदिवासी हैं और सभी मेरे नामांकन से खुश हैं।’’

 

 

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