घरों का कब्जा देने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी करने वाले बिल्डर के खिलाफ एफआईआर

द ब्लाट न्यूज़ । नॉलिज पार्क 3 स्थित आई वैली प्रोजेक्ट के खरीदारों ने वर्धमान एस्टेट एंड डेवलपर्स वह जेष्ठा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड समेत 10 लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह एफआईआर बिल्डर 12 साल पहले घोषित एक प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपये लगाने वाले 40 खरीदारों ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दी थी। शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने 3 जून तो वर्धमान एस्टेट के हरेंद्र वरिष्ठ, राजू वर्मा, विवेक गुप्ता, विपिन शमा, हरीश अग्रवाल, वरुण रोहिल्ला,नवीन राय, अतिन जैन व प्रमिला जैन के खिलाफ ईओडब्ल्यू धोखाधड़ी की धाराओं 406/409 और 420 के तहत एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि बिल्डर ने समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया और प्रोजेक्ट का पैसा दूसरी जगह डायवर्ट कर दिया।

आई वैली प्रोजेक्ट के खरीदार सुनील गुप्ता वह अन्य 40 खरीदारों ने शिकायत दी थी। वर्धमान आई वैली बायर्स एसोसिएशन के खरीददारों का आरोप है कि बिल्डर ने वर्ष 2014 15 तक कब्जा देने का वादा किया था। शिकायत में बताया गया था कि जेष्ठा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर वर्धमान एस्टेट ने प्रोजेक्ट को पूरा करने का करार किया था आरोप है इस करार की सूचना ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को नहीं दी गई थी। निर्माण कार्य भी स्वीकृत नक्शे के अनुसार नहीं कराया गया बिल्डर को अभी तक ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मिला है। वर्धमान बायर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता ने बताया कि वर्धमान बिल्डर्स के नोएडा में अलग-अलग कंपनियों के नाम पर 5-6 प्लॉट है। लेकिन आज तक इन्होंने कोई भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया है सभी प्रोजेक्टों में बायर्स के साथ धोखाधड़ी की है और उनसे गलत कमिटमेंट करते हुए करोड़ों रुपए का गबन किया है वर्धमान बिल्डर्स के इन प्रोजेक्टों में लगभग 2 से 3 हजार बायर्स हैं जिन्होंने अपने जीवन की गाढ़ी कमाई को वर्धमान बिल्डर्स पर भरोसा करते हुए बिल्डर के हवाले कर दिया। पर तकरीबन 12 साल बाद भी बिल्डर सारे खरीदारों को झूठे वादे करते अपने ऑफिस के चक्कर लगवाता रहा है और प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया है।

साल 2016 में ही एसोसिएशन ने की थी शिकायत

एसोसिएशन का कहना है कि हमारे खरीदारों की ईओडब्ल्यू में शिकायत 2016 में ही दी गई थी। लेकिन बिल्डर के खिलाफ इतने सालों बाद भी तक उसके खिलाफ न ही शिकायत पर कोई जांच हुई थी और न ही एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके कारण वह खुले रूप से लोगों के रुपये लेकर घूम रहा था। एसोसिएशन का कहना है कि भ्रष्ट बिल्डर के खिलाफ एफआईआर कराने के लिए शिकायत कर्ताओं ने पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना और स्पेशल सीपी क्राइम रविंद्र सिंह यादव से मुलाकात की थी। इन अधिकारियों के बाद शिकायत पर संज्ञान लिया और इनके निर्देश के बाद बिल्डर के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

 

 

 

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