सीमा सुरक्षा बल के 42 जांबाज वीरता पदकों से सम्मानित…

द ब्लाट न्यूज़ । केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मातृ भूमि के लिए प्राणों का बलिदान करने वाले वीर सीमा प्रहरियों को आज यहां अदम्य साहस, वीरता और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए वीरता पदक प्रदान किए। बल के अलंकरण समारोह में श्री राय ने 42 जवानों तथा अधिकारियों को पदकों से सम्मानित किया जिनमें से 16 को वीरता के लिए पुलिस पदक और 26 को उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक प्रदान किये।

इस मौके पर रुस्तमजी स्मारक व्याख्यान का भी आयोजन किया गया। राय ने इस कार्यक्रम में ड्रोन विरोधी तकनीक प्रारूप का हस्तांतरण भी किया गया। समारोह में बीएसएफ़ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह, अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक और सीमा सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में राय ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल का गौरवशाली इतिहास बलिदानी वीरों की गाथाओं से परिपूर्ण है। बल की स्थापना से अब तक सीमा प्रहरियों को एक पद्म विभूषण, दो पद्म भूषण, एक महावीर चक्र, चार कीर्ति चक्र, सात पदमश्री, 13 वीर चक्र, 13 शौर्य चक्र और 56 सेना मेडल सहित 1202 वीरता पदक मिले हैं जो इस बात का प्रमाण है कि सीमा सुरक्षा बल के जवान देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि कश्मीर की बर्फीली चोटियों, झुलसा देने वाले थार, कच्छ का रण और घने वर्षा वनों के बीच से भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश से लगतीं अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं सीमा सुरक्षा बल के अभेद्य सुरक्षा घेरे में सुरक्षित हैं।

उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ नवीनतम तकनीक के समावेश से सीमावर्ती अपराधों और चुनौतियों में नित नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। पड़ोसी देश प्रतिदिन नई युक्तियों से देश विरोधी शक्तियों द्वारा राजनैतिक नुकसान पहुंचाने के प्रयास लगातार कर रहा है। देश की पश्चिमी सीमाओं पर ड्रोन की गतिविधियां, सीमापार से खोदी गई सुरंगों, घुसपैठ के प्रयास आदि घटनाएं सीमा प्रहरियों के बुलंद हौसलों का प्रतिदिन इम्तिहान ले रही है और बीएसएफ इस इम्तिहान में सफल भी हो रहा है।

राय ने कहा कि गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल को मजबूती प्रदान करते हुए सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र की प्रभावी निगरानी और सुरक्षा के लिए छ्ह नई फ्लोटिंग सीमा चौकियाँ तैनात की हैं। प्रत्येक सीमा चौकी आधुनिक सुविधाओं एवं तकनीकी उपकरणों से सुसज्जित है जो लगातार लगभग एक महीने तक बिना दोबारा ईंधन भरे तैनात रह सकती हैं। उन्होंने कहा कि 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता युद्ध में बीएसएफ़ महानिदेशक श्री के. एफ. रुस्तमजी के नेतृत्व में सीमा सुरक्षा बल ने बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी के साथ मिलकर जिस तरह की भूमिका को अंजाम दिया है आज पूरा देश उससे परिचित है और इसकी प्रशंसा करता है।

उन्होंने कहा कि बल ने स्थापना से लेकर आज जो मुकाम हासिल किया है उसमें रुस्तमजी की महती भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होने कहा कि बल के संस्थापक व प्रथम महानिदेशक श्री रुस्तमजी की स्मृति में सीमा सुरक्षा बल द्वारा प्रत्येक वर्ष अलंकरण समारोह और रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान का आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान शृंखला में “सीमावर्ती जनसंख्या: सीमा प्रबंधन से राष्ट्र निर्माण तक” विषय बहुत ही सामयिक एवं विषयगत है।

इस अवसर पर बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने सबसे पहले कर्तव्य की वेदी पर मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बल के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने रणनीति, बुनियादी ढांचे, हथियार और प्रशिक्षण के मामले में खुद को तैयार करने में बल के निरंतर प्रयास पर जोर दिया। महानिदेशक ने पहले पूर्व महानिदेशक रुस्तमजी के ‘सैनिक गुणों और दूरदर्शी नेतृत्व कौशल’ के बारे में भी बताया, जिन्हें लोकप्रिय रूप से “बीएसएफ के संस्थापक पिता” के रूप में जाना जाता है।

 

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