हरिद्वार । प्रत्येक त्यौहार को कब मनाए और कब न मनाएं इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति विगत कई वर्षों से देखने को मिल रही है, जिस कारण से आज जनमानस में त्यौहार मनाने को लेकर संशय रहता है। इस बार दीपावाली पूजन पर विवाद बना हुआ है, की दीपावली 1 नवंबर को मनायी जाए या 31 अक्टूबर को।
इस संबंध में भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी कनखल के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु के अनुसार दीवाली 1 नवंबर को होनी चाहिए, परंतु जो लोग प्रदोष काल में पूजन नहीं करते हैं, निशीथ काल और महा निशीथ काल में पूजन करते हैं वह 31 नवंबर को अमृत की चौघडि़या में पूजन करें और जो लोग प्रदोष काल में पूजन करते हैं वह लोग 1 नवंबर को को सांय 6.30 बजे तक महा लक्ष्मी पूजन कर लें। परंतु 31 अक्टूबर को किसी भी समय सूर्य अस्त के बाद पूजा किया जा सकता है।
श्री मिश्रपुरी के मुताबिक 17.38 के बाद अमृत की चौघड़िया है, जो कि 7 बजे तक रहेगी। उसमें लक्ष्मी को स्थिर करने के लिए पूजन किया जा सकता है। जो लोग उल्लू पूजा, बही खाते का पूजन, तांत्रिक प्रयोग, मंत्र जाप, लक्ष्मी प्राप्ति के अनुष्ठान करते हैं वह 31 अक्टूबर की रात्रि में पूजन करें। क्योंकि 1 नवंबर को अमावस्या बहुत कम समय के लिए होगी। 18.17 तक ही अमावस्या होगी। उसके बाद प्रतिपदा होगी। उसमें लक्ष्मी पूजन नहीं होता है। यदि 1 नवंबर को पूजन करना है तो 18.17 बजे तक पूजन कर लें।
श्री मिश्रपुरी के मुताबिक 29 अक्टूबर को धनतेरस होगी। इस दिन चांदी खरीदने से लक्ष्मी घर में आती है इसी दिन सायंकाल में दीपक जलाने से पूरे वर्ष भर अकाल मृत्यु नहीं होती। 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती होगी। इसी दिन धन्वंतरि जी की पूजा होगी। 31 अक्टूबर को तिल के तेल से स्नान करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है। 2 नवंबर को अन्नकूट गोवर्धन पूजा होगी, 3 नवंबर को भाई दूज होगी। इस कारण दीपावली मनाने के विवाद में न पड़कर मुहुर्त के हिसाब से पूजन करें।