न्यायालय ने यूपीएससी सिविल सेवा के पांच प्रतिभागियों को साक्षात्कार में शामिल होने की इजाजत दी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि एक “विशेष मामले” के तौर पर वह उन पांच परीक्षार्थियों को साक्षात्कार में पेश होने की इजाजत दे रहा है जिन्होंने यूपीएससी की मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी लेकिन निर्धारित तिथि तक डिग्री प्रमाण-पत्र जमा नहीं कराने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने निर्देश दिया कि विशेष मामले के तौर पर उम्मीदवारों को साक्षात्कार देने दिया जाए क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण उनके विश्वविद्यालयों ने नतीजों की घोषणा देर से की।

शीर्ष अदालत ने कहा कि ये पांच प्रतिभागी पहले ही प्रकाशित हो चुकी साक्षात्कार के लिये निर्धारित उम्मीदवारों की सूची से अतिरिक्त होंगे।

न्यायालय ने कहा कि संघ लोग सेवा आयोग (यूपीएससी) पूर्व में ऐसे कई उम्मीदवारों को इस तथ्य के बावजूद शपथ-पत्र पेश करने पर मुख्य परीक्षा में बैठने की इजाजत दी है जिन्होंने प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन आवेदन पत्र के साथ अर्हक परीक्षा का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं किया था।

पीठ ने कहा कि इन पांच प्रतिभागियों को यूपीएससी के साक्षात्कार के लिये इजाजत नहीं देना उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराने से इनकार करने जैसा होगा क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण वे एक विशेष परिस्थिति में घिर गएथे और उनके विश्वविद्यालयों ने समय पर परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किये।

न्यायालय ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एक विशेष मामले के तौर पर आदेश पारित कर रहा है। न्यायालय ने कहा कि इसे नजीर के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और यह मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर पारित किया गया है।

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