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बांदा । प्रदेश की योगी सरकार भले ही गोवंश को संरक्षित करने को लेकर तमाम दावे कर रही है, लेकिन हकीकत में गोवंश की दुर्दशा हो रही है। गांवों में बनी अस्थाई गौशालाओं में गोवंश को न तो खाने को हरा चारा मिल पा रहा है और न ही उन्हें छाया या पीने का पानी ही उपलब्ध हो पा रहा है।
गौशालाओं में गोवंश की दुर्दशा की पुष्टि शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी के औचक निरीक्षण में सामने आ गई। सीडीओ ने नरैनी क्षेत्र के पियार गांव में बनी अस्थाई गौशाला का औचक निरीक्षण किया तो वहां खामियों का भंडार देखने को मिला। गड़बड़ियों पर सीडीओ का पारा चढ़ गया और उन्होंने प्रधान और सचिव को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने लापरवाही पर सचिव के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करते स्पष्टीकरण तलब किया। निरीक्षण के दौरान बताया गया कि गौशाला में कुल 120 पशु संरक्षित हैं, लेकिन मौके पर सीडीओ को वहां एक भी गोवंश देखने को नहीं मिला। जिससे उनका गुस्सा बढ़ गया। हालांकि ग्राम प्रधान व सचिव ने सफाई देते हुए कहा कि दिन के समय गोवंश खेतों में चरने के लिए चले जाते हैं और शाम को वापस गौशाला में आ जाते हैं। गौशाला में गोवंश के पीने के लिए बनी चरही में काई लगी मिली, जैसे उसमें कभी गोवंश को पानी पिलाया ही नहीं गया हो। ऐसे ही गौशाला में भूसा भी नाम मात्र ही मिला, जिस पर सीडीओ ने ग्राम प्रधान को गांव से भूसा एकत्र करने और गौशाला में संरक्षित गोवंश के पेट भरने की व्यवस्था करने की सख्त हिदायत दी। कहा कि गोवंश प्रबंधन में शिथिलता बर्दास्त नहीं की जाएगी। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।
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