सूरजकुंड मेला : आगरा के कालीन को विदेशों तक दिलाई पहच…

द ब्लाट न्यूज़ । कालीन केवल फर्श को ढकने के काम में नहीं, बल्कि घर की सुंदरता में चार चांद लगाने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है। अगर आपको भी जानना है कैसे तो सूरजकुंड मेले में उत्तर प्रदेश के आगरा से आए शिल्पकार यासिर कमाल के हाथों का हुनर देखकर देखें। कालीन शिल्पकार यासिर हाथों के बने सुंदर कालीन और किलम लेकर मेले में पहुंचे हैं। इनके हाथों के हुनर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनके कालीन विदेशों तक एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के कालीन शिल्पी हैं विख्यात
अगर उत्तर प्रदेश में कालीन शिल्पियों की बात करें तो फारसी और अरबी कालीनों के बाद यहां के निर्मित स्थानीय कालीन विश्वभर में विख्यात हैं। इस क्षेत्र की बड़ी जनसंख्या कालीन बुनाई के पेशे से जुड़ी हुई है। ये शिल्पकार कालीन पर वनस्पतियों, फूलों, ताज महल, केथरी वाला जाल, जामाबाज़, कंधारी जैसे अनोखे डिजाइन बनाते हैं। खूबसूरत हस्तकला और सुंदरता के बूते ये काली राष्ट्रीय बाज़ारों को आकर्षित करने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भी खासे लोकप्रिय हैं।

तुर्किश स्टाइल किलम हैं खास
यासिर बताते हैं कि उनके पास कालीन के अलावा रग, गलीचे और किलम भी मौजूद हैं। इसमें तुर्किश स्टाइल किलम बेहद खास हैं। दरअसल, तुर्की में स्पेशल डिजाइन के किलम तैयार किए जाते हैं जिनपर खूबसूरत कारीगरी होती है। इसी की तर्ज पर सुंदर किलम तैयार किए गए हैं। कालीन की खूबसूरती रंगों के साथ बुनाई पर भी आधारित होती है। बारीक काम के किलम और कालीन तैयार करने में महीनों का समय लगता है।

राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं
शिल्पकार यासिर लोगों की पसंद के मुताबिक मनपसंद डिजाइन और रंगों के कालीन व किलम भी ऑर्डर पर तैयार करते हैं। बताते हैं कि स्टॉल पर 450 के रग से लेकर 85 हजार तक के कालीन मौजूद हैं। सबसे महंगे 85 हजार के कालीन तैयार करने में 5 महीने लगे हैं जिसे कई बुनकरों ने बारीक कारीगरी से सजाया है। बताते हैं कि काम में प्राकृतिक और कैमिकल दोनों तरह के रंग इस्तेमाल किए जाते हैं।बेहतरीन काम के लिए वे वर्ष 2005 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।

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