भोपाल : शहर में घनी आबादी के बीच चल रहे गैस गोदामों को बाहर शिफ्ट करने की कवायद जिला प्रशासन द्वारा शुरु की गई है लेकिन अब तक इस पर कोई विशेष काम नहीं हो सका है। इधर, रहवासी क्षेत्रों में संचालित गैस गोदाम लोगों के लिए खतरनाक बने हुए हैं। हरदा में छह फरवरी को पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण हादसे के बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने निर्देश दिए थे कि सभी गैस एजेंसी और गोदामों की जांच की जाए। जो भी आबादी क्षेत्र में स्थित हैं, उन्हें बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। इस निर्देश के बाद जिला खाद्य विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जांच पड़ताल भी शुरु कर दी थी लेकिन अब मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। हरदा हासे के बाद जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस, खाद्य विभाग, नापतौल विभाग आदि के अमले ने जिले में पेट्रोल पंप, गैस गोदाम, एजेंसियों का निरीक्षण किया था। शहर में करीब 40 गैस एजेंसी एवं गोदाम हैं, इन सभी की जांच अमले ने की थी। इस दौरान खजूरीकलां क्षेत्र में एसओएस बालग्राम के पास भारत गैस की एजेंसी रहवासी क्षेत्र में संचालित होना पाया गया। इसको लेकर एसडीएम लक्ष्मीकांत खरे एजेंसी एवं गोदाम को रहवासी क्षेत्र से बाहर करने के लिए पत्र भी लिखा है। इसके अलावा एजेंसी संचालक से जगह बताने के लिए भी कहा था लेकिन अब तक इसको शिफ्ट नहीं किया गया है। प्रशासन की नजर में भले ही खजूरी कलला का एकमात्र गोदाम आया हो लेकिन शहर में कई गैस गोदाम आबादी के बीच और बेहद नजदीक संचालित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त एजेंसियों पर सिलेंडर रखकर सप्लाई की जा रही है। ऐसा ही एक गोदाम छोला मंदिर क्षेत्र में इंडेन का है, जो घनी आबादी में स्थित है। जबकि गोविंदपुरा में चर्च और स्कूल के नजदीक भी गोदाम भी आबादी के पास चल रहा है। यह तो चुनिंदा उदाहरण हैं, इसके अतिरिक्त शहर में कई जगह गोदाम आबादी के नजदीक बने हुए हैं। इधर जांच के बाद खाद्य विभाग ने गेस एजेंसी संचालकों को निर्देश दिए थे कि वह एजेंसी पर सिलेंडर नहीं रखेंगे। उपभोक्ताओं द्वारा मंगवाने पर ही घर पहुंचाएंगे लेकिन इसका भी पालन बंद कर दिया गया है।
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