शिवराज सरकार के सहकारिता अफसर ने की गड़बड़ी जांच

THE BLAT NEWS:

भोपाल,भोपाल पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्ते दर पर प्लाट उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई संजीव नगर हाउसिंग सोसायटी के अध्यक्ष लखविंदर सिंह ने तीन प्लाट अपने और परिवार के सदस्यों के  नाम पर आवंटित कर दिए थे। सहकारिता विभाग के अफसरों ने जांच में इस गड़बड़ी को पकड़ भी लिया था, लेकिन कार्रवाई नहीं की थी। लोकायुक्त संगठन पुलिस की भोपाल इकाई ने लखविंदर और उनकी पत्नी हरवंश कौर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा दर्ज किया है। लखविंदर पर आरोप है कि उन्होंने हाउसिंग सोसायटी के प्लाट की अवैध तरीके से बिक्री की काली कमाई अर्जित की है। जांच एजेंसी ने जब मामले की पउ़ताल की तो कई परतें खुली और एक-एक कर कई गुनाह भी सामने आए। सोसायटी का गठन कर प्लाट आवंटन के लिए संचालक मंडल बनाया गया था। प्लाट आवंटन की शुरुआत से गड़बड़ी की शिकायतें सामने आने लगी थीं। मामले की शिकायत सहकारिता विभाग में की गई थी। जांच के बाद उन्होंन माना कि प्लाट आवंटन में गड़बड़ी की गई है। इस गड़बड़ी में लखविंदर के साथ संचालक मंडल भी शामिल हैं। जांच में दोषी पाए जाने के बाद सहकारिता विभाग को लखविंदर और संचालक के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया। सहकारिता अफसर ने सोसायटी के अध्यक्ष के तौर पर लखविंदर सिंह को पत्र लिखा और कहा, प्लाट आवंटन में गड़बड़ी करने के लिए आप अपने संचालक मंडल पर कार्रवाई करें। वास्तव में होना यह चाहिए था कि जब सहकारिता विभग के गड़बड़ी पकड़ ली थी, जांच में भी दोषी मान लिया था, तब कार्रवाई के लिए पत्र पुलिस (थाना) को लिखना चाहिए। नियम कहता है कि सोसायटी का गठन पुलिस परिवार के सदस्यों को प्लाट देने के लिए किया गया था। उस हिसाब से पुलिस परिवार के अलावा दूसरे सदस्यों को प्लाट नहीं दिया जाना चाहिए। दूसरा नियम यह भी है कि एक परिवार के एक सदस्य केा एक से अधिक प्लाट नहीं दिया जाएगा। Image result for  शिवराज सरकार के सहकारिता अफसर ने  की गड़बड़ी जांच

इस नियम का भी पालन नहीं किया गया है और खुद लखविंदर के तीन प्लॉट अपने परिवार के  सदस्यों के नाम पर हासिल कर लिए थे। लखविंदर के अलावा कई पुलिसकर्मियों और अफसरों ने भी सोसायटी में एक से अधिक प्लाट हासिल किए थे, जो सीधे तौर पर कदाचरण की श्रेणी में आता है। आईपीएस अफसर के नाम पर बनाई गई थी सोसायटी : मध्यप्रदेश कैडर के दिवंत आईपीएस अफसर संजीव कुमार सिंह जब भोपाल के एसपी थे, तब यह सोसायटी बनाई गई थी। मकसद पुलिस परिवार में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्ते दर पर प्लाट और उसमें से कुछ जमीन पर फ्लैट बनाकर उपलब्ध कराना था। सोसायटी के गठन के बाद राज्य सरकार से जमीन का आवंटन बताया गया था। सोसायटी की भूमि आवंटन नई जेल रोड पर करोंद के पास किया गया था। आवंटित जमीन में से पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्लाट आवंटित किए गए हैं। उक्त प्लाटों के आवंटन में हेराफेरी की गई थी। यह काम सोसायटी के अध्यक्ष के तौर पर लखविंदर ने किया था। लोकायुक्त संगठन पुलिस ने जांच में माना कि सहकारी सोसायटी अधिनियम का उल्लंघन करते हुए लखविंदर ने एक परिवार के कई सदस्यां काके प्लाट का आवंटन किया था। खुद भी एक से अधिक प्लाट लिए थे। जिल पुलिस परिवारों को एक से अधिक प्लाट का आवंटन हुआ था, बाद में उन्होंने प्लाट दीगर लोगों को बेच दिए थे। इस तरह से कई पुलिस अधिकारियों ने मोटी कमाई की थी। इसमें लखविंदर भी शामिल थे। लखविंदर भोपाल के आईजी आफिस में क्लर्क थे, लेकिन उनकी और उनके परिवार की संपत्ति उनकी आय से कई गुना ज्यादा पाई गई है। इसी आधार पर लोकायुक्त संगठन ने एफआईआर दर्ज की है।

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