छत्तीसगढ़ : राज्यपाल हरअवतार वेलफेयर सोसायटी के स्वर्ण जयंती समारोह में हुई शामिल

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रायपुर; सुश्री अनुसुईया उइके अपने भोपाल प्रवास के क्रम में आज हरअवतार वेलफेयर सोसायटी के 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुई।

राज्यपाल हरअवतार वेलफेयर सोसायटी के स्वर्ण जयंती समारोह में हुई शामिल

 

राज्यपाल का कार्यक्रम स्थल पर सोसायटी के सदस्यों और बच्चों ने आत्मीय स्वागत किया। स्वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ राज्यपाल सह अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया और इस अवसर पर बच्चों ने स्वागत गीत और नृत्य प्रस्तुत किये।

 

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राज्यपाल सुश्री उइके और अन्य अतिथियों ने हरअवतार सोसायटी की स्मारिका का विमोचन किया। समारोह में आदिवासी कन्या छात्रावास की बालिकाओं को गीजर, पंखे सहित जरूरी सामग्रियां भी वितरित की गई।
राज्यपाल सुश्री उइके ने अपने संबोधन में हरअवतार वेलफेयर सोसायटी के 50 वर्ष पूर्ण होने तथा स्वर्ण जयंती समारोह के आयोजन के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों में वेलफेयर सोसायटी ने समर्पित होकर मानवता की सेवा की है। राज्यपाल ने कैंसर पीडि़तो की मदद, रक्तदान शिविर, आंखों के नि:शुल्क इलाज के लिए अस्पताल का संचालन, जरूरतमंदों को मुफ्त दवाई वितरण के साथ ही पारिवारिक मिलन के माध्यम से समाज उन्नयन के सोसायटी के प्रयासों की प्रंशसा की। साथ ही गरीब स्कूली छात्र-छात्राओं की आर्थिक मदद, स्कॉलरशिप, कॉपी-किताब की व्यवस्था और आदिवासी छात्राओं को पढऩे के लिए प्रेरित कर उनके मदद के संकल्प को भी सराहा। उन्होंने सोसायटी से पिछले 50 वर्षों से जुड़े सभी व्यक्तियों के सम्मान को अभूतपूर्व पहल बताया और इससे प्रेरित होकर अन्य लोगों के सोसायटी से जुडऩे तथा मानवता की सेवा के संकल्प को विस्तार मिलने की बात कही।
राज्यपाल सुश्री ने कहा कि जीवन में जो कुछ भी हासिल किया है वह अमूल्य है उन्होंने इसके लिए ईश्वर, अपने अभिभावकों व गुरुजनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने मानवता के भाव से ही लोगों की सेवा और सहायता करने की बात कही। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि हमारा कद कितना भी बड़ा हो जाए किंतु हमें अपने संबंधों को नहीं भूलना चाहिए।
उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए युवावस्था से ही सेवा कार्यों से जुडऩे की बात कही और इसके महत्व को रेखांकित किया तथा सेवा को आत्म संतुष्टि का मूल मंत्र भी बताया। राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़वासियों से मुझे असीम प्रेम मिला और लोगों की सहायता के उद्देश्य से ही राजभवन को जनभवन के रूप में बदलने का कार्य किया।
राज्यपाल ने आगे कहा कि सेवा अत्यंत पुनीत कार्य है तथा प्रेम, स्नेह, दया एवं करूणा शाश्वत नैतिक मूल्य है। इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती और यही मानवता की परिभाषा भी है। अपूर्व करूणा एवं संवेदना ही दिलों को जोड़ती है, इसलिए उन्होंने मानवता को हृदय से अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम दुखी, पीडि़त, आहत, उपेक्षित एवं जरूरतमंदों की मदद कर समाज एवं जीवन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते है। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि हम गरीब एवं जरूरतमंदों की हरसंभव सहायता करें। राज्यपाल ने वर्तमान दौर में मानवीय संवेदनाओं में आ रही कमी की ओर ध्यान आकृष्ट कराया और युवाओं में मानवता के विचारों के बीजारोपण के लिए प्रयास करने की बात कही।
राज्यपाल ने सभी को मिलकर भारत की प्राचीन सेवाभावी परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए भी कार्य करने को कहा।
उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं से कहा कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए आप सभी कठिन परिश्रम करें। आपमें क्षमताओं की कमी नहीं हैं। उन्होंने छात्राओं को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी दी।
राज्यपाल ने विश्वास जताया कि संस्था निरंतर सफलता के नवीन आयाम प्राप्त करेगी और मानवता की सेवा का कार्य अनवरत जारी रखेगा।
वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों द्वारा राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर राज्यपाल ने कई समाजसेवियों को प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर डॉ. दिनेश रॉय, डॉ.जे एन चौधरी, श्री आलोक अग्रवाल, श्री सलिल चटर्जी सहित विद्यार्थी और आमजन उपस्थित थे।

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