The BLat News:
महंगाई, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है। शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत से तीन युद्ध के बाद हम (पाकिस्तान) सबक सीख चुके हैं। अब शांति चाहते हैं।
सरहद पर तनाव के बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के इस बयान ने सबको चौंका दिया है। सवाल उठ रहा है कि आखिर शहबाज शरीफ के इस बयान के मायने क्या हैं? क्या वाकई में पाकिस्तान अब भारत से रिश्ते सुधारना चाहता है? क्या आने वाले समय में दोनों देशों के बीच स्थिति में सुधार होगा? पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ बातचीत करने की इच्छा जताई है। शहबाज ने अंतरराष्ट्रीय अरबी न्यूज चैनल अल अरेबिया को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘भारतीय प्रबंधन और पीएम मोदी को मेरा संदेश सिर्फ इतना है कि हम एक साथ बैठें और कश्मीर समेत आपसी मसलों पर बातचीत करें। हमें एक-दूसरे से झगड़े बिना एक दूसरे के साथ आगे बढ़ना है न कि समय और संपत्ति को झगड़े में बर्बाद करना है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमनें भारत के साथ तीन युद्ध लड़े हैं और ये अतिरिक्त परेशानियों और बेरोजगारी की वजह बने हैं। हमने इनसे सबक ले लिया है और अब हम शांति से रहना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए पहले हमें अपने वास्तविक मसलों को सुलझाना होगा।’ शरीफ ने आगे कहा कि दोनों देश परमाणु संपन्न देश हैं और दोनों के पास हथियार हैं। अब अगर कोई युद्ध हुआ तो फिर किसका अस्तित्व बचेगा किसका नहीं, यह कोई नहीं जानता है।
पाकिस्तान में इन दिनों आर्थिक स्थिति काफी खराब चल रही है। लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। पूरे देश में आटे की कमी हो गई है। लोग एक-एक किलो आटे के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। गैस-सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल, सब्जियां और फल सब महंगा हो गया है। इसके चलते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अपने ही घर में घिरे हुए हैं। जनता से लेकर मीडिया तक पाकिस्तान सरकार पर निशाना साध रही है।
शरीफ के बयान से पहले पाकिस्तान के दो बड़े अखबारों ने पाकिस्तान सरकार को आड़े हाथों लिया था, जबकि भारत की तारीफ की थी। अखबारों ने लिखा था कि देश में संकट गहराता जा रहा है और शरीफ को दुनिया के सामने हाथ फैलाने पड़ रहे हैं लेकिन भारत दिन-रात तरक्की की नई कहानी लिखने में लगा हुआ है।
इसे समझने के लिए हमने पाकिस्तान के सिंध में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार और सिंध के सामाजिक कार्यकर्ता सज्जाद अली से बात की। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान इस वक्त सबसे बुरी स्थिति में है। लोग भूख से मर रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य की तो बात ही नहीं हो रही है। ऐसे समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का शांति वार्ता को लेकर बयान आना वाजिब है। पाकिस्तान की सरकार अपनी जनता के बीच घिरी हुई है। इस साल के अंत तक यहां चुनाव होना है। ऐसे में अगर यही हालात रहे तो शहबाज शरीफ और उनकी पार्टी को समर्थन देने वाली पार्टियां कभी सत्ता में वापसी नहीं कर पाएंगी। इसलिए शहबाज शरीफ कुछ भी करके इस स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे है
सज्जाद आगे कहते हैं, ‘दुनिया के सभी बड़े देशों से पाकिस्तान कर्ज ले चुका है। चीन के कर्ज तले तो पूरा पाकिस्तान ही दबा हुआ है। स्थिति ये है कि चीन ने अपने कर्ज की बदौलत पाकिस्तान पर कब्जा करना शुरू कर दिया है। ऐसे में अगर पाकिस्तान सरकार अपने लोगों को खाने-पीने के लिए राहत देना चाहती है तो उसे भारत के साथ फिर से कारोबार शुरू करने होंगे। भारत के साथ कारोबार शुरू होने पर ही पाकिस्तान में स्थिति सुधर सकती है। शहबाज शरीफ का बयान इसी ओर इशारा कर रहा है। पाकिस्तान की सरकार ये जान चुकी है कि बगैर भारत की मदद के वह अपने लोगों को दो वक्त की रोटी नहीं दे सकती है। इसलिए कुछ भी करके शहबाज शरीफ फिर से दोनों देशों के बीच कारोबार शुरू करवाने की कोशिश में जुटे हैं।’
आदित्य के अनुसार, ‘अगर उन्हें इस मुश्किल दौर से कोई बाहर निकाल सकता है तो वह भारत है। भारत पूरे पाकिस्तान के खाद्य पदार्थों की जरूरतें पूरी कर सकता है। इसलिए शहबाज शरीफ का ये बयान अपने ही देश को बचाने के लिए दिया गया है। वह भारत को लेकर दिए गए बिलावल भुट्टो के बयान को हल्का करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि भारत उन्हें मदद देने को तैयार हो जाए।’