द ब्लाट न्यूज़ अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) ने उत्तराखंड सरकार से कार्बेट बाघ संरक्षित क्षेत्र और कालागढ वन प्रभाग में वृक्षों की अवैध कटाई एवं निर्माण गतिविधियों के बारे में विभिन्न जांच समितियों की रिपोर्टों पर अपने विचार देने को कहा है।
समिति द्वारा इस माह के शुरू में की गई बैठक में सरकार को कॉबेट में वृक्षों की अवैध कटाई और वहां हुए अवैध निर्माण के बारे में अपने विचार देने को कहा गया है।
समिति की बैठक की चर्चा के रिकार्ड के अनुसार, जिन जांच समितियों की रिपोर्टों पर केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति ने सरकार के विचार मांगे हैं उनमें राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण, केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति के समेकित क्षेत्रीय कार्यालय और वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की जांच रिपोर्ट शामिल हैं।
समिति ने कपिल जोशी की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट का दो सप्ताह के भीतर अंग्रेजी अनुवाद भी देने को कहा है। यह रिपोर्ट तीन खंडों में है।
उसने राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या कॉर्बेट बाघ संरक्षित क्षेत्र में चल रही गतिविधियों के लिए सक्षम अधिकारियों की स्वीकृति थी और इसके लिए बजट का प्रावधान किया गया था।
राज्य सरकार से यह भी पूछा गया है कि कॉर्बेट की पांखरों रेंज में टाइगर सफारी बनाने के लिए वन भूमि क्यों दी गयी जबकि यह जगह विशिष्ट गतिविधि के लिए नहीं थी। पांखरों की वन भूमि बाघ का आवास स्थल है।
केंद्रीय चिडियाघर प्राधिकरण ने बैठक में बताया कि पांखरों में बाघ संरक्षित क्षेत्र स्थापित करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को अभी मंजूरी नहीं दी गयी है और अभी तक सिर्फ सैद्वांतिक मंजूरी ही दी गयी है। हांलांकि, राज्य सरकार ने परियोजना से संबंधित निर्माण कार्य शुरू कर दिए हैं।
कमेटी ने इस संबंध में चिडियाघर प्राधिकरण द्वारा राज्य सरकार को दिए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब की एक प्रति भी देने को कहा है।