‘वाटर एरोड्रम’ से कर्नाटक में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा : अधिकारी

द ब्लाट न्यूज़ । कर्नाटक सरकार ‘कनेक्टिविटी’ में सुधार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के आठ जलाशयों में ‘वाटर एरोड्रम’ स्थापित करने की प्रक्रिया में है। क्योंकि इस अपेक्षाकृत किफायती पहल के लिए पारंपरिक हवाई अड्डे की तुलना में कम जमीन की आवश्यकता होगी। ‘वाटर एरोड्रम’ खुले पानी का एक ऐसा क्षेत्र होता है, जिसका उपयोग विमान नीचे उतरने और उड़ान भरने के लिए करते हैं। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ‘वाटर एरोड्रम’ की अवधारणा का उद्देश्य कनेक्टिविटी और पर्यटन की संभावनाओं को मूर्त रूप देने के अलावा पारंपरिक हवाई अड्डों की स्थापना पर खर्च को कम करना भी है।

कर्नाटक राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (केएसआईआईडीसी) के कार्यकारी निदेशक डी. पी. प्रकाश ने बताया कि ‘‘72 या 46 सीट वाले एटीआर विमान के संचालन के लिए एक साधारण हवाई अड्डा स्थापित करने में कम से कम 450 एकड़ भूमि और 200 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है, जबकि वाटर एरोड्रम के लिए महज 10-12 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है।’’

प्रकाश ने कहा कि इस तरह की परियोजना के लिए आवश्यक शर्तों में समुद्री विमान, कम से कम दो मीटर गहराई के साथ बारहमासी जल प्रवाह और विमान से तट तक रनवे एवं जेटी के लिए 600-700 मीटर लंबा क्षेत्र शामिल हैं। चूंकि बांध इन सभी मानदंडों को पूरा करते हैं, इसलिए इन हवाई अड्डों को आठ स्थानों पर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें कावेरी पर मैसूर में कृष्णा राजा सागर बांध, बिंदूर, भद्रा बांध, लिंगनमक्की बांध, अलमट्टी बांध और हिडकल बांध शामिल हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘नदी, झील या जलाशय के किनारे प्रवेश, निकास और सुरक्षा जांच की प्रक्रिया के लिए एक छोटा यात्री टर्मिनल बनाया जाएगा। यही एकमात्र खर्च है, जिसके लिए 10 करोड़ रुपये से 12 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।’’ यह स्पष्ट है कि ये हवाई अड्डे किफायती और व्यवहारिक हैं। इनका उपयोग पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले नेटवर्क के निर्माण में मदद के लिए किया जा सकता है।

प्रकाश ने कहा, ‘‘पर्यटक अलमाटी बांध पर उतर सकते हैं और पट्टाडकल एवं ऐहोल पर्यटन केंद्रों की यात्रा कर सकते हैं। फिर वे उड़ान भरकर मैसूर आ सकते हैं और वहां से ‘जोग जल प्रपात’ देखने के लिए लिंगनमक्की जा सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस प्रकार की यात्रा रोमांचक है। प्रकाश ने विमानों के नीचे उतरने और उड़ान भरने में किसी जोखिम के शामिल होने से इनकार किया। अधिकारी ने कहा, ‘‘हवाई पट्टी में आपके लिए जो भी जोखिम होते हैं, वह यहां भी है।’’ उनके मुताबिक वाटर एयरोड्रम बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी कोई समय सीमा तय नहीं है क्योंकि सरकार को नियम और शर्तों तथा दिशानिर्देशों को पूरा करने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) को भी पत्र लिखना होगा।

 

 

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