असोला भाटी में एक दिन में लगेंगे एक लाख पौधे

 

द ब्लाट न्यूज़ । दिल्ली के एकमात्र वन्यजीव अभ्यारण्य असोला भाटी में एक दिन में एक लाख पौधे लगाए जाएंगे। ये पौधे स्थानीय प्रजातियों के होंगे जो जंगल और वन्यजीवों के संरक्षण में बड़ी भूमिका अदा करेंगे। हाल के दिनों में इस जंगल में तेंदुए से लेकर दुर्लभ धारीदार लकड़बग्घे की भी मौजूदगी लगातार दर्ज की जा रही है।

राजधानी में इस मानसून सीजन में 35 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए वन महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। जिसकी शुरुआत 11 जुलाई से सेंट्रल रिज से की जाएगी। वन महोत्सव में उप मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से लेकर अलग-अलग विधायक भी शामिल होंगे। विधानसभा क्षेत्रों में अलग से महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय पहले ही सात लाख से ज्यादा औषधीय पौधों के वितरण की घोषणा कर चुके हैं। दिल्ली की 14 सरकारी नर्सरियों से इन औषधीय पौधों का वितरण किया जा रहा है। दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर लगभग 32 वर्ग किलोमीटर में बसे असोला भाटी वन्यजीव अभ्यारण्य की जमीन पथरीली और ऊबड़-खाबड़ है। लंबे समय तक चले खनन के चलते यहां पर बहुत बड़े-बड़े गड्ढे भी बने हुए हैं। पानी भरने के चलते इनमें से कुछ गड्ढों में बड़ी झीलें बन गई हैं। जबकि, कुछ अन्य जगहों पर भी बड़े जलाशय तैयार करने की कोशिशें की जा रही हैं।

नर्सरी में तैयार हुए स्थानीय प्रजाति के पौधे : आमतौर पर सजावटी और कीमती पौधों को ही नर्सरियों में तैयार किया जाता है। लेकिन, असोला भाटी वन्यजीव विहार में वन विभाग और बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की ओर से स्थानीय प्रजाति के पौधों को नर्सरी में तैयार किया जा रहा है। ताकि बड़े पैमाने पर इन्हें लगाया जा सके। स्थानीय प्रजाति के पौधे पथरीली और चट्टानी जगहों पर ज्यादा आसानी से उगते हैं और वन्यजीवों के संरक्षण में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसमें बिस्तेंदु, रोहेड़ा, बरना, सोंझना, कुम्था, सलाई, काला इंद्राजो, कुलु, हरसिंगार और गुग्गल जैसे पौधे भी शामिल हैं।

 

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