अर्थ गंगा’ के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती की बारीकियों से रूबरू करायेगी सरकार

 

द ब्लाट न्यूज़ । सरकार ‘अर्थ गंगा योजना’ के तहत देश के किसानों को प्राकृतिक खेती की बारीकियों से रूबरू करायेगी और चुने गए किसानों को अगले महीने प्रशिक्षण के लिये उन स्थानों पर भेजेगी जहां सुनियोजित ढंग से प्राकृतिक खेती हो रही है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने यह जानकारी देते हुए बताया, ‘‘अर्थ गंगा के तहत कुछ गतिविधियों पर कार्य शुरू किया जा रहा है। इसमें एक विषय गंगा के दोनों किनारों पर प्राकृतिक खेती का है। पिछले सप्ताह हमने अर्थ गंगा एवं आजीविका से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की थी।’’ उन्होंने कहा कि अर्थ गंगा ढांचे के तहत गंगा नदी के किनारे से 10 किलोमीटर तक खेतों में रसायनों का इस्तेमाल बंद करने को बढ़ावा दिया जायेगा।

एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि देश के कई हिस्सों में पहले से प्राकृतिक खेती की जा रही है, ऐसे में किसानों को इन स्थानों पर प्राकृतिक खेती की जानकारी दी जायेगी।

कुमार ने कहा, ‘‘अर्थ गंगा योजना के तहत देश के किसानों को प्राकृतिक खेती की बारीकियों से रूबरू कराया जायेगा। अगले महीने चुने गए किसानों को प्रशिक्षण के लिये उन स्थानों पर भेजा जायेगा जहां सुनियोजित ढंग से प्राकृतिक खेती हो रही है।’’

उन्होंने कहा कि इसके तहत प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में अहम स्थान रखने वाले सुभाष पालेकर से भी बात की गई है। पतंजलि ने भी कुछ स्थानों पर प्राकृतिक खेती शुरू की है और उनके अनुभव का भी लाभ उठाया जायेगा।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने हाल ही में कार्यकारी समिति की बैठक में ‘अर्थ गंगा ढांचे के तहत मिट्टी रहित कृषि तकनीक के कार्यान्वयन की एक प्रायोगिक परियोजना’ को मंजूरी दी है।

परियोजना के मसौदे के अनुसार, इस परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इसका लक्ष्य अर्थ गंगा ढांचे का उपयोग करके 1000 एकड़ जमीन को मिट्टी रहित खेती करने में सक्षम करना है।

गौरतलब है कि मिट्टी रहित कृषि तकनीक फसल उगाने की एक विधि हैं। इसे घोल विधि और माध्यम विधि से किया जाता है। घोल विधि में पौधों को केवल पानी और पोषक तत्वों की मदद से उगाया जाता है। वहीं, माध्यम विधि में मिट्टी की बजाए नमी बनाए रखने के लिये बालू, धान की भूसी, पौधों के अपशिष्ट आदि का इस्तेमाल किया जाता है।

अधिकारियों के अनुसार, आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 75 स्थानों पर इस प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया जायेगा।

ज्ञात हो कि दिसम्‍बर 2019 में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद (एनजीसी) की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के तहत गंगा नदी के कायाकल्प के साथ इसके तटीय क्षेत्रों के लोगों के आर्थिक विकास के लिये ‘अर्थ गंगा’ की परिकल्पना पर चर्चा की थी।

एनएमसीजी ने पिछले महीने ‘‘ जल और ऊर्जा बचत पर प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का मूल्यांकन ‘’ विषय पर एक परियोजना को मंजूरी दी है। इसका मुख्य उद्देश्य, मिट्टी की उर्वरता, फसल उत्पादकता और समग्र लाभप्रदता पर प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के प्रभाव का आकलन करना है।

एनएमसीजी के अधिकारी ने बताया कि गंगा नदी के तट पर ‘पर्यटन सर्किट’ के विकास की भी योजना है और इस बारे में पर्यटन विभाग के महानिदेशक के साथ कई बैठकें हुई हैं।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा भारतीय जलमार्ग प्राधिकार के साथ भी चर्चा हुई है।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत नदी तट पर ‘रिवर क्रूज’ की परिकल्पना है। इन पर्यटन सर्किट का विकास उन स्थानों पर किया जायेगा जो रामायण, महाभारत आदि से संबंधित हैं।

कुमार ने कहा कि ऐसे 75 स्थलों का विकास नदी पर्यटन के रूप में किया जायेगा।

 

 

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