द ब्लाट न्यूज़ । दिल्ली हवाईअड्डे के टर्मिनल-2 पर फुल बॉडी स्कैनर से सुरक्षा जांच का परीक्षण शुरू किया गया है। इस स्कैनर में गुजरने के साथ ही यात्री के पास मौजूद गैर-धातु की वस्तुओं का पता चल जाता है। आम तौर पर मेटल डोर फ्रेम डिटेक्टर के जरिए भी ऐसी चीजों को पकड़ना मुश्किल होता है।
राजधानी के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर सुरक्षा जांच और कड़ी की जा रही है। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) के निर्देशों का पालन करते हुए मंगलवार से टर्मिनल-2 पर फुल बॉडी स्कैनर की शुरुआत की है। इसके लिए यात्रियों को अतिरिक्त समय नहीं देना पड़ेगा। फुल बॉडी स्कैनर के जरिए बिना किसी शारीरिक संपर्क के सुरक्षा जांच हो जाती है और यात्री की निजता को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं पहुंचता है। डायल ने परीक्षण के लिए सुरक्षा जांच क्षेत्र में इस स्कैनर को स्थापित किया है। यह परीक्षण रियल टाइम आधार पर होगा। यात्री को सिर्फ इस स्कैनर से गुजरना होगा और उसकी सुरक्षा जांच पूरी हो जाएगी।
डायल के मुताबिक, फुल बॉडी स्कैनर के जरिए यात्रियों की सुरक्षा जांच का परीक्षण 45 से 60 दिनों तक चलेगा। इस दौरान स्कैनर के कामकाज को लेकर सिविल एविएशन सिक्योरिटी, सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स और यात्रियों से फीडबैक लिया जाएगा। इसके बाद ही इसे पूरी तरह से लगाने पर फैसला किया जाएगा। डायल के मुताबिक, फुल बॉडी स्कैनर में मिलीमीटर-वेव आधारित स्कैनर लगाए गए हैं जो बेहद सटीक होते हैं और इससे स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। सुरक्षा जांच के दौरान कई बार यात्री खुद को असहज महसूस करते हैं। लेकिन, इस तरह की मशीन के जरिए जांच से यात्रियों को ऐसी मुश्किल नहीं होगी। डायल के विशेष कार्यकारी अधिकारी विदेह कुमार जयपुरिआर ने कहा कि फुल बॉडी स्कैनर से यात्री की निजता बनी रहती है और स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
जांच के अन्य विकल्प बने रहेंगे : फुल बॉडी स्कैनर लगाए जाने के बाद भी विशेष आवश्यकता वाले यात्रियों के लिए दूसरी व्यवस्था बनी रहेगी। डायल के मुताबिक, व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले यात्री या फुल बॉडी स्कैनर से नहीं गुजर सकने वाले यात्रियों के लिए डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर का विकल्प पहले की ही तरह मौजूद रहेगा।