द ब्लाट न्यूज़ । दिल्ली की हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के एक मामले में सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार के कुछेक मामलों के कारण पति अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं कर सकता है। न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी अगर लगातार व्यभिचार करे तब ही पति गुजारा भत्ता के भुगतान से कानूनी तौर पर छूट प्राप्त कर सकता है।
दिल्ली की निचली अदालत में गुजारा भत्ता को लेकर एक केस में सुनवाई के बाद पति को यह देने का आदेश दिया गया था जिसके बाद पति ने निचली अदालत की तरफ से दिए गए आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती थी। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर पत्नी, पति से अलग रहते हुए कभी-कभार व्यभिचार करे, तो उसे नजरअंदाज किया जाएगा।
दिल्ली हाई कोर्ट ने पति की दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर पत्नी पति से अलग रहती है इस केस में अगर पत्नी एकाध बार व्यभिचार करती हो उसे नहीं माना जाएगा। यह भी बता दें कि कोर्ट ने कहा कि पति तो यह साबित भी नहीं कर पाया है पत्नी व्यभिचार में शामिल है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पत्नी लगातार व्यभिचार में लिप्त हैं तो यह साबित होने के बाद भी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण पोषण रोक सकता है।
क्या है गुजारा भत्ता नियम
बता दें कि गुजारा भत्ता देने के लिए एक नियम बना है। सरकार ने धारा 125 सीआरपीसी गुजाराभत्ता देने के लिए बनाया है। इस कानून का फायदा वहीं ले सकता है जो व्यक्ति अपनी अजीविका चलाने में असमर्थ है, वह भत्ते के लिए दावा कर सकता है। यह भी बता दें कि भत्ता पाने के हकदार के लिए भी नियम स्पष्ट है। इसमें पत्नी अपने पति से, बच्चे अपने पिता से, बुजुर्ग माता-पिता अपने बेटे से गुजाराभत्ता मांग सकते हैं जिसे पूरा किया जाना होता है।
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