जागरूकता के सार्थक प्रयास होने चाहिए

-रंजना मिश्रा-

वैक्सीन आने से कोरोना महामारी से मुक्ति की उम्मीद जगी है, अब आशा है कि हम कोरोना को हरा सकेंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है, ऐसे में बचाव का एक ही रास्ता है वैक्सीन। लेकिन देश के कई गांवों में अभी भी जागरूकता के अभाव, अशिक्षा और गरीबी के कारण वैक्सीन को लेकर भ्रम है। कोरोना वैक्सीन को लेकर कई दुष्प्रचार किए गए हैं, अफवाहें फैलाई गई हैं, धर्म के नाम पर भी कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में डर पैदा किया जा रहा है। वैक्सीन लगवाने से कोरोना वायरस हो जाएगा या वैक्सीन के साइड इफेक्ट से कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं, इसके अलावा यह भी भ्रम है कि वैक्सीन से आने वाली नस्ल खराब हो जाएगी। ऐसे कई तरह के दुष्प्रचार हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन सभी दावों को गलत ठहराते हुए बताया है कि वैक्सीन जान बचाती है, जान लेती नहीं। वैक्सीन लगवाने से कोरोना संक्रमण नहीं होता, वैक्सीन शरीर में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज बनाती है। वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है, लेकिन यह संक्रमण जब शरीर में प्रवेश करेगा तब उसका मुकाबला करने के लिए शरीर पहले से तैयार रहेगा। वैक्सीन कोरोना होने पर गंभीर रूप से बीमार होने से बचाती है। सच तो यह है कि वैक्सीन की वजह से बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होने के बाद भी सुरक्षित रहे हैं और वायरस का उन पर ज्यादा असर नहीं हुआ है।
लोगों के मन में व्याप्त भ्रम और डर को समाप्त करके वैक्सीनेशन के प्रति जन जागरूकता की आवश्यकता है, तभी हमारा देश कोरोना मुक्त हो सकेगा। वैक्सीन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से ही टीके के प्रति भरोसा बढ़ाया जा सकता है। टीका लेने के उपरांत स्वास्थ्यकर्मी लोगों के बीच जागरूकता पैदा कर सकते हैं। नेताओं, अभिनेताओं तथा देश और समाज के प्रमुख लोगों का टीकाकरण लाइव करके व उसका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करके कोरोना वैक्सीन पर भरोसा बढ़ाया जा सकता है।
कोरोना वैक्सीन को लेकर फैले हुए भ्रम को दूर करने के लिए शिक्षण संस्थाओं की मदद ली जानी चाहिए। कोविड वैक्सीनेशन के क्या लाभ हैं, किस तरह ये वैक्सीन महामारी को रोकने में लाभकारी साबित होती है तथा सरकार ने टीकाकरण के क्रियान्वयन के लिए क्या योजना तैयार की है, इन सबके बारे में स्वयंसेवक लोगों को बताएं और टीकाकरण के लिए जागरूक करें। ग्रामीण व शहरी इलाकों में लोगों को कोरोना वैक्सीन के प्रति जागरूक करने के लिए कालेज के युवाओं की मदद ली जानी चाहिए और इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इसके अलावा छात्र अपने घरों के आसपास, पड़ोसियों, रिश्तेदारों तक भी वैक्सीन से जुड़ी सही जानकारी पहुंचा सकते हैं।
सरकार को ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से लोगों को वैक्सीन के बारे में जागरूक करने का अभियान चलाना चाहिए। लोगों को कोरोना वैक्सीन के प्रति जागरूक करने के लिए डोर टू डोर कैंपेन चलाने की भी आवश्यकता है। निजी समाचार चैनलों को भी कोरोना वायरस के इलाज, संक्रमण से बचाव और वैक्सीनेशन के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलानी चाहिए। इसके अलावा लोगों में वैक्सीन को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए हेल्पलाइन नंबरों को न्यूज़ चैनलों द्वारा नियमित तौर पर विशेष रूप से प्राइम टाइम कार्यक्रम के दौरान दिखाया जाना चाहिए। ऐसा होने पर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इन हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी पहुंच सकेगी। कोरोना वैक्सीन के प्रति भय और आशंका अधिकतर ग्रामीण इलाकों में ही है, क्योंकि यहां सही जानकारी व शिक्षा का अभाव है, अतः ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, सरपंच आदि को गांव-गांव एवं घर-घर जाकर लोगों की भ्रांतियों को दूर करना चाहिए एवं उन्हें कोरोना वैक्सीन लेने के लिए समझाना चाहिए।
इस अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए सेलिब्रिटीज की भी मदद लेनी चाहिए। हमारे यहां लोग फिल्मी सितारों और क्रिकेटर्स की बात ज्यादा सुनते हैं, पूरे देश में बहुत बड़ी संख्या में इनके फैन्स हैं, लोग इनकी बात मानेंगे, अतः सभी बड़ी-बड़ी हस्तियों को आगे बढ़ कर जागरूकता फैलाने में अपना योगदान देना चाहिए। महिलाएं सीरियल अधिक देखती हैं, इस मुद्दे पर एपिसोड बनाकर उन्हें कोरोना वैक्सीन के प्रति जागरूक बनाया जा सकता है। समाज की शिक्षित व समझदार महिलाओं द्वारा ऑनलाइन कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक करने का अभियान चलाना चाहिए, क्योंकि यदि महिलाएं जागरूक होंगी तो वो अपने पूरे परिवार को इसके प्रति जागरूक कर सकती हैं। सभी विद्वान नहीं होते, इसलिए जिसे जैसी बात समझ में आए, उसे वैसे ही समझाने की आवश्यकता है। कुछ संप्रदाय विशेष के लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर बहुत सी अनर्गल बातें कही जा रही हैं, जिनका कोई औचित्य नहीं है। उनके धर्मगुरुओं को स्वयं वैक्सीनेशन के महत्व को समझना चाहिए और अपने संप्रदाय के लोगों को समझाने का प्रयत्न करना चाहिए। समाज के सभी धर्मगुरुओं को इस जागरूकता अभियान में अपना योगदान देना चाहिए, क्योंकि समाज के अधिकतर लोग इनकी बातों को मानते हैं और उनका अनुसरण करते हैं।
सरकार को चाहिए कि समस्या ग्रस्त इलाकों को चिन्हित करे, छोटी-छोटी टीमों का गठन कर उन्हें जागरूकता फैलाने के लिए जरूरतमंद जगहों पर भेजा जाए। वैक्सीनेशन के विरोध में कुछ प्रायोजित संगठन बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए, इस अभियान में सभी राजनीतिक पार्टियों को सहयोग करना चाहिए। जनप्रतिनिधियों को उनके क्षेत्र में भेजकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। अधिक से अधिक संख्या में वैक्सीनेशन केंद्रों की स्थापना करनी चाहिए तथा जरूरतमंदों के घर-घर जाकर वैक्सीन लगानी चाहिए।
सरकार और प्रशासन लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर तो रहे हैं किंतु वो इसमें सफल नहीं हो पा रहे, अतः समाजसेवी संस्थाओं और देश के सभी शिक्षित, प्रशिक्षित व समझदार लोगों को इस अभियान से जुड़कर छोटे तबके तक वैक्सीन के महत्व को समझाना होगा। हम सबको मिलकर समाज में, गांवों में और पूरे देश में जागरूकता फैलानी होगी। हम सबका दायित्व है कि लोगों को जागरूक करें और टीका लगवाने में सहयोग करें, यह भी राष्ट्रभक्ति है। अगर सभी लोग टीका लगवाएंगे, संयम से रहेंगे तो तीसरी लहर हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। हमें मिलकर अपने देश को इस आपदा से मुक्त करना है।

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