मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का कोर्ट निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक बढ़ी। ताहिर हुसैन की अर्जी पर SC के जजों का अलग-अलग फैसला। धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला। इस सप्ताह यानी 20 जनवरी से 25 जनवरी 2025 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
लाउडस्पीकर धर्म का जरूरी हिस्सा नहीं
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कानूनी एजेसियों को ध्वनि प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तुरंत ऐक्शन का भी निर्देश दिया। जस्टिस एएस गडकरी और एससी चांडक की बेंच ने ये टिप्पणी की। बेंच ने कहा कि शोर स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। कोई यह – दावा नहीं कर सकता है कि उसे लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उसके अधिकार किसी भी तरह प्रभावित होते हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार प्रार्थना स्थलों के लाउडस्पीकर, वॉइस एम्प्लिफायर के शोर पर काबू के लिए गंभीरता से विचार करे।
शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक बढ़ाई
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक को बढ़ा दिया, जिसमें उसने मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण कोर्ट कमिश्नर से कराने की अनुमति दी थी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मस्जिद समिति की अपीलों पर विचार किया, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। ये याचिकाएं उन आदेशों के खिलाफ दायर व की गई है, जिनमें हाई कोर्ट ने मथुरा की अदालतों से संबंधित मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था और दिसंबर 2023 के आदेश में मस्जिद परिसर का निरीक्षण करने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की अनुमति दी थी।
ताहिर हुसैन की अर्जी पर बंटे SC के 2 जज
दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई की, जिसने कथित तौर पर 2020 में शहर में दंगों के दौरान हिंसा की योजना बनाई और भड़काई और कई आरोपों का सामना किया। हुसैन अब असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के साथ हैं। उन्होंने अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए खुद के लिए प्रचार करने के लिए अस्थायी रिहाई की मांग की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उसे ठुकराए जाने के बाद दायर की गई याचिका, दो न्यायाधीशों की पीठ – न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति पंकज मिथल द्वारा खंडित फैसले के बाद खारिज कर दी गई। जस्टिस अमानुल्लाह इसके पक्ष में थे, लेकिन जस्टिस मिथल नहीं थे। अब इस मामले की सुनवाई एक बड़ी पीठ द्वारा किये जाने की उम्मीद है।
आरजी कर केस के दोषी को मौत की सजा दिलाने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी
पश्चिम बंगाल सरकार ने आरजी कर ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर मामले में दोषी को मौत की सजा देने की गुजारिश करते हुए हाई कोर्ट में अपील की। ट्रायल कोर्ट ने सोमवार को दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सियालदह अदालत ने संजय रॉय को मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद CM ममता बनर्जी ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की थी। इस घोषणा के 24 घंटे से भी कम समय में राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने सियालदह की अदालत की ओर से पारित आदेश को चुनौती देने के लिए मंगलवार को जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बार रशीदी की बेंच के सामने याचिका दायर की।
CAG रिपोर्ट मामले पर आ गया ये क्या फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के कामकाज पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पेश करने के लिए दिल्ली विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने के अध्यक्ष को निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया। हालाँकि, अदालत ने कहा कि आतिशी मार्लेना के नेतृत्व वाली सरकार ने रिपोर्ट को पेश करने में काफी समय लिया, जो 12 जनवरी को विधानसभा के समक्ष जारी की गई थी।