THE BLAT NEWS:
भोपाल। 2014 के पहले प्रधानमंत्री मोदी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आये दिन भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का ढिंढोरा पीटते नहीं थकते थे तो वहीं धु्रवीकरण और आतंकवाद को लेकर भी खूब ढिंढोरा पीटा गया उस सबको कर्नाटक के एक दिन के मतदाता ने भाजपा की सरकार को उखाड़ फेंका है अब मप्र की बारी है मप्र का मतदाता यह भलीभांति जानता है कि जबसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता की कमान संभाली है तबसे वह भ्रष्ट अधिकारियों के वल्लभ भवन में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों के रैकेट के इशारे पर किसी न किसी बात को लेकर ढिंढोरा पीटते ही रहे लेकिन इस प्रदेश में विकास के नाम पर केवल भेरोबाबा ही खड़े किए गए सत्ता में आने के पहले भाजपा के नेता इस मध्य प्रदेश को बीमारू राज्य होने का खूब ढिंढोरा पीटते थे लेकिन आज शिवराज सरकार की भ्रष्ट नौकरशाही की बदौलत हर सरकारी योजनाओं के फर्जी आंकड़ों की काजगों में रंगोली सजाकर इस प्रदेश को कर्जदार ही नहीं बल्कि ऐसी स्थिति में ला दिया कि अब सरकारी योजनाओं के लिए हर बार सरकार को कटोरा लेकर कर्ज लेने के लिए घूमना पड़ रहा है तो वहीं आतंकवाद खत्म करने का खूब ढिंढोरा पीटा गया लेकिन इसी भाजपा सरकार में बैठे धु्रव सक्सेना जैसे भगवा लोग इस देश के तमाम खुफिया दस्तावेज पाकिस्तान को भेजने में पकड़े गए थे लेकिन इन सबको भुलाकर सत्ता के अहम में डूबे नेता जब इस विषय पर भाजपा के नेता टीवी चैनलों पर बहस के लिये आते हैं तो वह बुरी तरह सक लडऩे-झगडऩे पर उतारू हो जाते हैं यह देखकर या तो लोग टीवी बंद करते हैं या टीवी की बहस न सुनकर चैनल बदल देती है इसी ्रमप्र में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बाबूलाल गौर ने राजधानी की नरेला विधानसभा को लेकर यह कहा था कि नरेला में सटोरियों और जुआरियों को राजनेता द्वारा संरक्षण दिया जाता है अभी हाल ही में मप्र की इसी नरेला विधानसभा क्षेत्र में आतंकी संगठन से जुड़े कुछ लोग पकड़े गए और सरकार की तरफ से यह खबर अखबारों में आई देशभर के आतंकी मप्र में ट्रेनिंग के लिये आते थे? तो वहीं इस आतंकवादी समाप्त करने का ढिंढोरा पीटने वाले शिवराज मंत्रिमण्डल में तत्कालीन गृह मंत्री जगदीश देवड़ा भी ऐसे गृह मंत्री रहे जिन्होंने भजकलदारम की लालच में सिमी के एक आतंकी को जेल से छोडऩे की सिफारिश की थी और उसे जब जेल से छोड़ा गया तो सरकार की बदनामी हुई तो उसे पुन: जेल में बंद किया गया लेकिन इतना सबकुछ घटित हो जाने के बाद भी उन तत्कालीन गृह मंत्री देवड़ा का कुछ नहीं बिगड़ा और वह आज शिवराज के आंखें के तारे बनकर प्रदेश का आबकारी व वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण पद के मंत्री हैं इनकी कार्यशैली की बदौलत इस प्रदेश की क्या स्थिति है वित्त तो नहीं पर वित्त मंत्री जरूर हैं, वित्त मंत्री के ठाट-बाट भी बड़े अजब-गजब हैं अपने और इस प्रदेश के ठाट-बाट बचाने के लिए इस प्रदेश को रोजाना कर्ज लेना पड़ रहा है?
यही स्थिति हर सरकारी योजना की है वल्लभ भवन में बैठे चुन-चुनकर शिवराज सिंह ने जो जिम्मेदारी दे रखी है उन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों के रैकेट ने पिछले कुछ दिनों तक शिवराज सिंह को एक ढिंढोरा पीटने को कहा था जिसके तहत पूरे प्रदेश में महीनों तक शिवराज यह ढिंढोरा पीटते रहे कि अब हमारी बहनों को हैण्डपम्प से और कुओं से सर पर रखकर पानी लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी अब मोदी सरकार की मेहरबानी से उनके घर में नल-जल योजना के तहत नल लगवा दिये और अब नल की टोंटी खोलते ही उनके घरों में पानी आ जायेगा इस बात के लिये पीएम मोदी से लेकर अपने आपकी तारीफ करते हुए नहीं थकते थे इसी नल-जल योजना के अंतर्गत इस प्रदेश में करोड़ों रुपये पानी की तरह पानी के नाम पर बहा दिये गये लेकिन अब जरा सी गर्मी के मौसम में पूरे प्रदेश के गांवों में पानी की त्राहि-त्राहि मचते ही शिवराज सिंह का नल-जल के योजना पर डमरू बजाने का खेल उन भ्रष्ट अधिकारियों ने जिनके भ्रष्टाचार के खिलाफ न्यायालय में जाने की वह सिफारिश तो नहीं करते हां, यह जरूर है कि उनकी योजनाओं का डमरू बजाने में वह सफल जरूर हो जाते हैं अब उन्हीं अधिकारियों ने लाड़ली बहना का डमरू बजना शुरु हो गया है आजकल मीडिया के माध्यम से वही ढिंढोरा सुनने को मिल रहा है उस ढिंढोरे का क्या हाल होगा इसका पता दस जून को पता चल सकेगा और यह योजना कब तक चलेगी यह भविष्य बतायेगा? ऐसे भ्रष्टाचार के चलते इस प्रदेश में बड़े-बड़े दावे किये जाते हैं विकास दिख नहीं रहा है स्मार्ट सिटी के नाम पर जो मकान बने हैं उनमें कोई रहने को तैयार नहीं हैं, मोदी के नाम पर डबल इंजन की सरकार का जो खेल शिवराज खेल रहे हैं उसी का नतीजा यह है कि सारी सरकारी योजनायें केवल कागजों पर रंगोली सजाकर जनता का नहीं बल्कि अपनी स्वार्थपूर्ति करने में लगे हुए हैं वहां भी 40 प्रतिशत कमीशन पर भ्रष्टाचार पनप रहा था जिसे उस प्रदेश के एक दिन के राजा यानि मतदाता ने उखाड़ कर फेंक दिया, अब यही स्थिति इस मध्यप्रदेश में भी होनी वाली है छत्तीसगढ़ तो पहले ही भाजपा के हाथ से निकल चुका है छत्तीसगढ़ की बाट लगाकर शिवराज के एक बड़े सलाहकार आजकल इस मप्र में बैठे हुए हैं उनके बारे में अधिकारियों का कहना है कि जहां-जहां पांव पड़े संतन के उत-उत बंटाढार की स्थिति वह इस मप्र में भी निर्मित कर रहे हैं भ्रष्टाचार की इस प्रदेश में स्थिति यह है कि इस प्रदेश के गौरवशाली प्रदेश के कैलाश सारंग के पुत्र विश्वास सरंग जब अलीराजपुर व झाबुआ जिले के प्रभारी थे तो उन आदिवासियों की उन्होंने खबर तक नहीं ली जिन्हें शराब माफियाओं के दबाव के चलते दोनों जिलों की पुलिस फर्जी मामलों में फंसाकर जेल भेज देती थी, यही कारण है कि प्रदेश का आदिवासी भाजपा से नाराज नजर आ रहा है और भाजपा के शिवराज सरकार के मंत्री अलीराजपुर व झाबुआ की शराब माफियाओं द्वारा हर वर्ष तीन सौ करोड़ की रिश्वत राशि का आनंद उठाते रहे, अब जब उनके हाथ में चिकित्सा शिक्षा विभाग है तो कोरोना काल के समय लोगों ने यह भुगत ही लिया कि हमीदिया अस्पताल के बचाव के लिये रेमडिसिवर इंजेक्शन तक चोरी हो गए थे, जिसका आज तक पता नहीं चला सका कि वह चोरी किसने और क्यों की थी? इस प्रदेश में ऐसे-ऐसे महारथी भी हमारे मंत्री हैं आज वही महारथी मंत्री यह दावा कर रहे हैं कि कोरोना काल में जनता को मोदी व शिवराज सरकार ने बहुत बचाव किया था? लेकिन कोरोना काल में कोरोना के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ उसे भी उजागर किया जाना चाहिए? ऐसे अनेक भ्रष्टाचार के मामले इस प्रदेश की जनता के जेहन में आज भी है? लेकिन भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का वादा करने वाले शिवराज उन घोटालों को उजागर करने की बजाय उन्हें दबाने में लगे हुए हैं?् ऐसे इन घोटालों के साथ-साथ एक हनीट्रैप जैसा मामला भी इस प्रदेश में उछल चुका है इसमें विश्वास सरंग की महत्वपूर्ण भूमिका व भाजपा के अनेक नेता लिप्त होने के कारण इस मामले को भी दबा दिया गया? प्रदेश में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि राजेश खन्ना की एक फिल्म अपना देश जैसा माहौल है? जहां बिना वजन के फाइल तक आगे नहीं बढ़ती है? इन सब परिस्थितियों के कारण कर्नाटक में भाजपा की हुई हार के बाद शिवराज व उनके मंत्रिमण्डल के लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं? संगठन अध्यक्ष की तो बात छोडि़ए वह तो इस प्रदेश में पूर्व में हुए पोखरण विस्फोट के अध्यक्ष की घटना को याद करके हां में हां मिला रहे हैं लेकिन न तो उनकी संगठन पर पकड़ है और सत्ता की तो बात छोडि़ए हां यह जरूर है कि सत्ता के अहम में यह ढिंढोरा पीटा जा रहा है कि अबकी बार 200 पार, जब चुनाव होंगे तो वही स्थिति हो जाएगी कि बुंदेलखंड के छतरपुर में वह यह सुनते हैं नाऊ कक्का कितने बाल, यह 200 पार का सपना भी ठीक कर्नाटक की तरह हवा में उड़ता हुआ नजर आएगा और सत्ता के अहम में डूबे हुए नेताओं को भी अबकी बार बोनस में सरकार नहीं मिलेगी क्योंकि कांग्रेसी अब सतर्क हो गये हैं?