द ब्लाट न्यूज़ । उत्तर जिला साइबर पुलिस ने वर्क फ्राम होम के नाम पर झांसा देकर ठगी में शामिल बीटेक इंजीनियर को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी तुषार कुमार को फर्जी कागजों पर सिम मुहैया कराने वाले शख्स अकरम को भी गिरफ्तार किया है। गिरोह ने डेढ़ साल में 170 लोगों से ठगी की है।
डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि बुराड़ी निवासी युवती ने साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दी थी। पीड़िता ने बताया था कि उसने फ्रीलांसरडाटकाम वेबसाइट के बारे में यूट्यूब पर देखा था। ब्रिटेन की इस कम्पनी पर काम देने वाले और करने वाले दोनों पंजीकृत रहते हैं। पीड़िता ने बताया कि उसने बोली लगाकर सबसे कम कीमत पर काम करने का ठेका हासिल किया। लेकिन काम पूरे होने के बाद आरोपी ने विभिन्न प्रकार के कर एवं शुल्क का हवाला देकर 12 हजार रुपये ले लिए। फिर फोन बंद कर लिया। पुलिस ने नौ फोन, 67 सिम, दो फिंगर आधार बायोमिट्रिक स्कैनर और ठगी की रकम से खरीदी गई कार बरामद की है। पुलिस गिरोह के अन्य बदमाशों की भी तलाश कर रही है। अकरम ने बताया कि जब उसकी दुकान पर कोई सिम लेने आता था तो वह उनके फिंगर प्रिंट लेता था। वह दो बार फिंगर प्रिंट लेकर दो सिम एक्टिव करा लेता था। फिर इसी सिम को इस गिरोह को बेचता था।
डीसीपी ने बताया कि एसीपी स्वागत पाटिल की देखरेख में एसएचओ पवन तोमर के नेतृत्व में टीम गठित की गई। टीम ने टेक्निकल सर्विलांस से जांच शुरू की तो मोबाइल की लोकेशन उत्तराखंड के किच्छा में पाई गई। फिर एसआई रोहित एवं एसआई रंजीत की टीम एक हफ्ते तक इलाके में घूमती रही। फिर 19 मई को 23 वर्षीय तुषार कुमार और 22 मई को मोहम्मद अकरम अली को गिरफ्तार किया गया। डीसीपी ने बताया कि बरेली निवासी अकरम पांच सौ रुपये में पहले से सक्रिय सिम को तुषार को बेचता था।
जांच में मालूम हुआ कि तुषार बरेली के निजी संस्थान से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक है। उसने कुछ समय तक रोजगार देने वाली वेबसाइट में नौकरी की, लेकिन कोविड के समय बेरोजगार हो गया। तभी उसे ठगी का उपाय सूझा। उसने अकरम से सिम लिया, जिस पर फर्जी कागजों से केवाईसी करा ई-वालेट खोल लिया। इसके बाद उसने खुद का पंजीकरण वेबसाइट पर काम देने वाली सूची में करा रखा था ताकि शिकार फंसाया जा सके। पुलिस अधिकारी ने बताया कि वेबसाइट पर तुषार के काम को कुछ लोग कम रुपये में करने के लिए बोली लगा देते थे। फिर तुषार उनसे अन्य नम्बरों से सम्पर्क कर कम समय और रुपये में करने का झांसा दे कुछ रुपये ऐंठ लेता था। काम पूरा होने पर जब पीड़ित मुख्य व्यक्ति से मेहनताने के रुपये लेने जाता था तो वह इंकार कर देता था।
तुषार ने अपनी कम्पनी की वेबसाइट ब्रिटिश कम्पनियों के नाम पर बनाई थी। वह इन्हीं ईमेल आईडी से पीड़ितों से सम्पर्क करता था ताकि उन्हें शक न हो। फिर उनसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार शुल्क, भारत में जीएसटी और अन्य शुल्क के नाम पर रुपये वसूलना शुरू कर देता था। आरोपी ने बताया कि कोविड के बाद लोग घर से काम करने लगे थे। साथ ही बहुत से लोग बेरोजगार हो गए थे। इसी वजह से उसने यह गोरखधंधा शुरू किया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लोगों से ठगी की है। अब तक 10 लाख रुपये की रकम की ठगी की बात सामने आई है।