बिहार में पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी खेला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। बिहार में अभी सियासी कसमसाहट जिस तरह दिख रही है, उसमें कई तरह के उलट-फेर की संभावनाएं जताई जा रही हैं, फिर भले ही हर बार की तरह इधर उधर करने वाले नीतीश बाबू यह कह चुके है की, वे पिछले बार वाली गलती अब दोबारा नहीं करने वाले हैं और वे NDA के साथ ही रहेंगे। लेकिन ऐसा कुछ तो उन्होंने तब भी बोला था जब वे महागठबंधन में थे, तब नीतीश कुमार ने कहा था कि मैं मरते दम तक यही रहूंगा। वापस इधर उधर यानी, NDA में नहीं जाऊंगा। लेकिन फिर….झट से नीतीश कुमार ने पलटी मार ली थी, इसलिए इस बार भी नीतीश कुमार के गलती न दोहराने वाली बात पर ज्यादा भरोसा करना मुश्किल सा लग रहा है इसलिए यह कयास अभी भी लगाए जा रहें हैं कि 15 जनुअरी के बाद बिहार में फिर से खेला होगा।
आपको बता दें, खेला की नजरे तो बिहार में लगी हैं लेकिन ऐसा लगता है की बिहार के इस खेला की शुरुआत दिल्ली से हो गयी क्यूंकि बिहार में गलती न दोहराने की बात कहते कहते नीतीश कुमार की JDU ने दिल्ली में बीजेपी और पीएम मोदी के साथ एक बड़ा खेला कर दिया है।
दरअसल, दिल्ली में कल one नेशन one इलेक्शन को लेकर JPC की पहली बैठक हुई , वैसे तो इस बैठक के बाद JPC के सदस्यों को पढ़ने के लिए दी गयी 18000 पन्नो की विस्तृत रिपोर्ट काफी चर्चा में रहीं और इसको लेकर तरह तरह की बातें भी की गयी। लेकिन इस बैठक के अंदर क्या हुआ? खबर यह है, और एक झटका बैठक के अंदर बीजेपी और मोदी सरकार को भी लगा है। दरअसल, ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ सम्बन्धी दो विधायकों के लिए गठित हुई JPC किए इस पहली बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तगड़ी बहस हुई है। और इस बहस में विपक्षी सांसदों ने इस विधायक पर सवाल उठायें हैं, विपक्षी दलों ने बिल की व्यहवारिकता और क्रियांवयन पर भी सवाल उठायें है। एक ओर जहां सत्तारूढ़ बीजेपी के सदस्यों ने विधेयक की सराहना की और इसे राष्ट्रीय हित में बताया। तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने विधेयकों के औचित्त्त पर भी सवाल उठायें हैं। लेकिन इस दौरान सबसे चौकाने वाली प्रतिक्रिया रही नीतीश कुमार की JDU की ओर से। क्योंकि लोकसभा में ONE नेशन ONE इलेक्शन का समर्थन करते हुए बिल के हक़ में वोटिंग करने वाली नितीश कुमार की JDU ने इस बिल को लेकर JPC द्वारा की गयी पहली ही बैठक में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को झटका दे दिया। दरअसल, नीतीश कुमार की पार्टी ने बीजेपी व NDA के अन्य सहयोगियों की तरह बिल की सराहना नहीं की बल्कि कांग्रेस और विपक्षियों के सुर से सुर मिलते हुए नजर आएं। और इस बिल को लेकर सवाल पूछ डालें। JDU का यह रुख देखकर बीजेपी व NDA का सहयोगी दाल काफी हैरत में रह गए , क्यूंकि किसी को उम्मीद नहीं थी कि सदन में इस बिल का पूरे जोर शोर से समर्थन करने वाली JDU, JPC की पहली ही बैठक में
ONE नेशन ONE इलेक्शन को लेकर सवाल खड़ा कर देगी। और विपक्ष के हाँ में हाँ मिलाने लगेगी।
आपको बता दें, इस बैठक में कांग्रेस सांसद प्रियंका गाँधी ने भी इस बिल को लेकर सवाल उठाया, कानून मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के बाद प्रियंका गाँधी ने पूछा कि इस चुनाव में खर्च कम होगा….ऐसा आप कैसे कह सकते हैं ? प्रियंका गाँधी ने विधेयकों के औचित्त्त पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका आर्थिक और व्यहवारिक पक्ष भी देखा जाना चाहिए। और यह भी पता होना चाहिए कि एकसाथ चुनाव कराने के लिए कितने ईवीएम लगेंगे, कितने कर्मचारियों की जरुरत पड़ेगी या कितना खर्च आएगा। साथ ही बता दें, प्रियंका गाँधी की हाँ में हाँ मिलाते हुए कुछ ऐसे ही सवाल मोदी के मित्र नीतीश कुमार की पार्टी ने भी दाग दिए। देखा जाये तो प्रियंका गाँधी और JDU की तरफ से लगभग एक जैसे ही सवाल मोदी सरकार से पूछे गए हैं।
अब ऐसे में, लगातार ऐसी चर्चाएं उठ रहीं हैं कि लग रहा है बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच सबकुछ ठीक तो नहीं है ! नीतीश कुमार कभी भी पलटी मार सकते हैं। और ऐसे में नीतीश कुमार के बीजेपी से खफा होने की खबरें लगातार जोर पकड़ती जा रहीं हैं…और अभी भी सियासी खेला होने की उम्मीद बरकरार हैं। क्यूंकि भले ही नीतीश कुमार पहले वाली गलती ना दोहराने की बात कहकर उन चर्चाओं को विराम देने की कोशिश कर रहें हैं। हलांकि, अक्सर ही ये कहा जाता है कि नीतीश कुमार खरमास के बाद ही कोई बड़ा फैसला लेते हैं और इस बार भी ऐसे ही कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार खरमास यानि 15 जनवरी के बाद फिर से कोई बड़ा फैसला ले सकते है और तो और बिहार के सियासत में एक बड़ा खेला कर सकते है। अब नीतीश की इन ख़बरों के बीच राहुल भी खरमास के बाद ही यानि कि 18 जनवरी को बिहार के दौरे पर जा रहे है। इस दौरान वह पार्ट्री कार्यालय सदाकत आश्रम जायेंगे। पार्टी नेताओं से मुलाकात और बैठकों के साथ ही राहुल गाँधी उसी दिन पटना में किसी हॉल में एक सभा को भी संबोधित भी कर सकते है। ऐसे में, खरमास के बाद राहुल गाँधी का पटना पहुंचना महज़ संयोग मात्र तो नहीं हो सकता है। इसलिए संभावना ये भी है कि राहुल गाँधी अपने इस दौरे के दौरान लालू यादव और तेजस्वी यादव से भी मुलाकात कर सकते है, लेकिन देखने वाली बात तो ये होगी कि क्या राहुल गाँधी इस दौरान नितीश कुमार से मिलते हैं की नहीं? मुलाकात करेंगे या नहीं? फिलहाल, सारे सियासी समीकरण इसी ओर इशारा करते है कि 18 जनवरी को बिहार में कुछ बहुत बड़ा होने वाला है और 18 जनवरी को बिहार से एक बड़ी तस्वीर सामने आ सकती है।