क्या कांग्रेस सच में AAP का गेम बिगाड़ सकती है, क्यों सतर्क रहने की जरूरत? डेटा से समझिए टेंशन के कारण

दिल्ली चुनाव में दोस्त अब दुश्मन हो चुके हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कभी साथ मिलकर भाजपा से टक्कर लेते थे. अब खुद एक-दूसरे से लड़ रहे हैं. अरविंद केजरीवाल दिल्ली चुनाव में जीत के लिए जोर लगा रहे हैं. क्या आम आदमी पार्टी दिल्ली के दंगल में जीत का चौका लगा पाएगी? या फिर कांग्रेस आम आदमी पार्टी का विजय रथ रोकने में कामयाब हो पाएगी? क्या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की लड़ाई में भाजपा बाजी मार ले जाएगी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब 8 फरवरी को मिल जाएंगे. दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग है. चुनावी नतीजे 8 फरवरी को आएंगे.

दरअसल, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने 2024 का लोकसभा चुनाव दिल्ली में साथ मिलकर लड़ा था. पर अब इन दोनों की राहें अलग हैं. इसके कारण दिल्ली का चुनाव त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है. कभी दोस्त रहे ये दोनों दल अब एक-दूसरे पर हमलावर हैं. इससे भाजपा काफी खुश है. उसे इंडिया गठबंधन के दो दोस्तों की लड़ाई में बाजी मारने का मौका दिख रहा है. भाजपा 27 साल से सत्ता से दूर है. कांग्रेस के नेता अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर तीखे हमले कर रहे हैं. इन हमलों से परेशान अरविंद केजरीवाल कांग्रेस पर बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं.

किसका पलड़ा कितना भारी
अरविंद केजरीवाल लगातार कह रहे हैं कि दिल्ली में मुख्य मुकाबला आप और भाजपा के बीच में है. वह इस सियासी लड़ाई के फ्रेम से कांग्रेस को लगातार बाहर रख रहे हैं. वह कांग्रेस को चुनौती ही नहीं मान रहे हैं. मगर क्या यह सच है? क्या आम आदमी पार्टी को सच में कांग्रेस से सावधान रहने की जरूरत नहीं है? क्या कांग्रेस आप का गेम नहीं बिगाड़ सकती है? अरविंद केजरीवाल का कांग्रेस को लेकर जो आंकलन है, वह न तो पूरी तरह सही है और न ही गलत. दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनावों (2015 और 2020) में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है. इन दोनों चुनावों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया था. उसका वोट शेयर तो 5 फीसदी से भी कम हो गया था.

आप की कांग्रेस से दुश्मनी क्यों
मगर इस बार कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है. वह हरियाणा और महाराष्ट्र का चुनाव हार चुकी है. वह इन चुनावों में मिली हार से सदमे में है. अब उसकी पूरी कोशिश है कि दिल्ली में किसी तरह जीत दर्ज की जाए. कांग्रेस अब तक करीब 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है. कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से उतारकर दिल्ली सियासी का पारा ही हाई कर दिया. आम आदमी पार्टी इसी बात से अधिक नाराज है. इतना ही नहीं, केजरीवाल पर संदीप दीक्षित और अजय माकन के पर्सनल अटैक भी एक वजह है. इसलिए आप ने इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को बाहर निकालने की वकालत कर दी थी.

कांग्रेस कैसे बिगाड़ सकती है आप का गेम
पर इस बार भी वही माहौल रहे, ऐसा कहना शायद मुश्किल है. आम आदमी पार्टी के सामने अब एंटी इन्कंबेंसी का माहौल है. 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद आम आदमी पार्टी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है. यह भी हकीकत है कि कांग्रेस के बुरे प्रदर्शन का ही नतीजा है आम आदमी पार्टी का बेहतर प्रदर्शन. ऐसे में आम आदमी पार्टी को चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन से सावधान रहना होगा. अगर इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेतहर होता है, उसका अपना वोट शेयर बेहतर होता है तो ऐसे में आप को नुकसान हो सकता है. कांग्रेस आप के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है. भले ही कांग्रेस के वोट शेयर से उसकी सीटों पर असर न पड़े. मगर आम आदमी पार्टी पर इसका असर जरूर पड़ेगा. अगर भाजपा का वोट इधर-उधर नहीं होता है. कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ता है तो यह आम आदमी पार्टी के लिए ही नुकसान होगा.
साथ ही दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा का ही कब्जा है. यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल अब बहुत फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. वह सभी वर्गों को लुभाने की कोशिशों में जुटे हैं.

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