नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को जनहित याचिका दाखिल करते हुए अधिकारियों को ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि उनके लिए अलग शौचालय जरुरी है ताकि वे यौन हमले और उत्पीड़न का शिकार नहीं बनें. इस पर अब अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी.
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में आदेश दिया था कि ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय बनाया जाना चाहिए, किन्तु अभी तक मैसूर, भोपाल और नागपुर जैसे शहरों में ही ऐसे शौचालयों का निर्माण किया गया है. यूपी के वाराणसी जिले में राज्य सरकार ट्रांसजेंडर को एक बड़ी सौगात दे चुकी है, जिसके तहत शहर की सफाई में ट्रांसजेंडरों की भी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने वाराणसी के कामाक्षा इलाके में राज्य का पहला ट्रांसजेंडर शौचालय बना दिया है. यह उत्तर प्रदेश में पहला ट्रांसजेंडर शौचालय है.
जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने इस याचिका पर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद्, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस भेजे हैं. इन सभी को 13 सितंबर से पहले नोटिस के जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
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