शहर की खुदी सड़कों पर सदन में हंगामा

लखनऊ। शहर की खुदी सड़कों तथा पेयजल व्यवस्था को लेकर रविवार को नगर निगम सदन की बैठक में काफी हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के पार्षदों ने जल निगम के खिलाफ जबरदस्त रोष प्रकट किया। पार्षदों ने कहाकि जल निगम राजधानी को स्मार्ट सिटी नहीं बदसूरत शहर बनाने पर तुला है। सीवर का काम घटिया हो रहा है। हंगामा इतना बढ़ा कि महापौर को 15 मिनट के लिए सदन स्थगित करना पड़ा।

सुबह साढ़े 11 बजे नगर निगम सदन शुरू होने के बाद शहर की खुदी सड़कों को लेकर विवाद शुरू हो गया। भाजपा के कई पार्षदों ने खुदी सड़कों का मामला उठाया। बीजेपी पार्षद कुमकुम राजपूत ने कहा कि अधिकारी कोई काम नहीं कर रहे हैं। सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि अब सब्र का बांध टूट गया है। भाजपा पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि स्मार्ट सिटी नहीं लखनऊ को बदसूरत शहर बनाया जा रहा है। पार्षद दिलीप श्रीवास्तव ने कहा कि जल निगम की ओर से सदन के निर्णय का मजाक उड़ाया जा रहा है। नगर निगम में भ्रष्टाचार पूरी तरह चरम पर है।

कांग्रेस की ममता चौधरी ने कहा कि पहले यह बताया जाए कि क्या जल निगम नगर निगम के दायरे में आता है या नहीं। नगर आयुक्त ने कहा कि जल निगम स्वतंत्र संस्था है। उस पर सीधा नियंत्रण नहीं है। इसको लेकर हंगामा बढ़ा। अनुराग मिश्र अन्नू ने कहा कि चौक क्षेत्र में भी जल निगम ने एक वर्ष पहले सड़क खोदी। आज तक नहीं बनाई। बीजेपी पार्षद भृगु नाथ शुक्ला ने कहा कि चार साल से मेयर के बुलाने पर भी जल निगम के अधिकारी नहीं आ रहे हैं। पार्षद जल निगम के एमडी को सदन में बुलाने की मांग कर रहे थे। लेकिन वह नहीं आए। दोबारा सदन शुरू होने के बाद जल निगम के अधिशासी अभियंता अजीत कुमार सिंह पहुंचे। लेकिन उन्हें पार्षदों ने बोलने नहीं दिया।

बिना पैसा जमा कराए सड़क नहीं खोदने देंगे
महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि आगे से जल निगम को कोई भी सड़क खोदने नहीं दी जाएगी। इन्हें खोदने की अनुमति तब मिलेगी जब जल निगम सड़क बनाने का पैसा नगर निगम में जमा कराएगा। सड़क बनाने पर उसे पैसा वापस किया जाएगा।

मुख्यमंत्री को पत्र देंगी मेयर
जल निगम की ओर से शहर में सड़कें खोदने तथा उसे बनाने में लापरवाही करने के संबंध में मेयर संयुक्ता भाटिया सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र सौंपेंगी। उन्होंने सदन में बताया कि जो भी दिक्कतें हैं, जिनका समाधान शासन स्तर पर होना है। उसके संबंध में वह पत्र तैयार करा रही हैं।

जीएम जल संस्थान से भी आक्रोशित पार्षद
पार्षदों ने जलकल के कामकाज पर भी सवाल उठाया। कहा जीएम जल कल एसके वर्मा फोन नहीं उठाते हैं। अगर उठता भी है तो कहते हैं कभी दिल्ली में है तो कभी दूसरे शहर में। वह पानी तथा सीवर संबंधी शिकायतों के निस्तारण कराने में रुचि नहीं लेते हैं।

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