छत्तीसगढ़ के किसानों ने जाना बेल, बेर व आंवला की खेती के गुण

कुमारगंज -अयोध्या :  छत्तीसगढ़ से किसानों का 48 सदस्यीय दल की टीम छत्तीसगढ़ से भ्रमण के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पहुंची। इस दौरान किसानों ने आंवला, बेल, बेर, जामुन एवं ड्रैगन फ्रूट की खेती को बारीकी से जाना। किसान 40 हजार पौधे रोपने के लिए अपने साथ छत्तीसगढ़ ले गए। उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा संजय पाठक ने किसानों को वैज्ञानिक ढंग से नर्सरी एवं ड्रैगन फ्रूट्स बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन पौधों के विकास एवं अच्छे उत्पादन के लिए अच्छी रोशनी व धूप वाले क्षेत्र में लगाना चाहिए।    परियोजना के अन्वेषक डा. एच. के सिंह ने विभिन्न प्रजातियों के फलों में लगने वाले बीमारियों के लक्षण एवं बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आंवला में जंग रोग काफी आम बात है। यह रोग उत्तर प्रदेश के अधिकतर इलाकों में पाया जाता है। यह रोग एम्बिलिका के कारण होता है। इस रोग के कारण पौदे फलों और पत्तियों पर काले या गुलाबी भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।  लैब टेक्नीशियन सोनाली जायसवाल आंवला, बेर, बेल आदि से जैम, जेली, जूस और मुरब्बा आदि उत्पाद तैयार करने की विस्तार से जानकारी दी।  इस दौरान विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित तकनीकी पत्रिका भी किसानों को वितरित किया गया। अखिल भारतीय समन्वित शुष्क क्षेत्रफल अनुसंधान परियोजना के सौजन्य से किसानों का यह भ्रमण कराया गया।

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