इंफाल 05 Oct : हाल ही में दो छात्राओं की हत्या के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पैलेट गन के कथित इस्तेमाल पर विवाद के बीच मणिपुर मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) ने इंफाल पश्चिम जिले के पुलिस अधीक्षक को एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है और पूछा है कि इंफाल में रैलियां कर रहे छात्रों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग करने का आदेश किसने दिया?
अध्यक्ष न्यायमूर्ति उत्पलेंदु बिकास साहा (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाले आयोग ने आयुक्त (गृह) से यह भी बताने को कहा कि मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक या उससे पहले घायल छात्रों को कितना अंतरिम मुआवजा दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति साहा ने तीन अस्पतालों का दौरा किया, जहां पेलेट गन से घायल नौ छात्रों का इलाज चल रहा है।एमएचआरसी के सूत्रों ने कहा कि आयोग ने सिंगजामेई ओकराम लीकाई के निंगथौजम जीत सिंह और असम के शिवसागर के मुकुल फुकोन की दो शिकायतों के आधार पर मामला उठाया, शिकायतों का विषय छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर सशस्त्र बलों और सुरक्षा बलों द्वारा अमानवीय और क्रूर दुर्व्यवहार था। शिकायतों में आरोप लगाया गया कि 26 और 27 सितंबर को 17 वर्षीय छात्रा हिजाम लिनथोइंगंबी और 6 जुलाई को 20 वर्षीय फिजाम हेमजीत की हत्या और सुरक्षा बलों द्वारा नियमों का उल्लंघन कर छात्रों पर अत्यधिक बल किया गया। मारी गईं दोनों छात्राओं की तस्वीरें 25 सितंबर को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित की गईं, जिसके बाद तीव्र आंदोलन शुरू हो गया, जिसमें सुरक्षा बलों के साथ झड़प में लड़कियों सहित कम से कम 100 छात्र घायल हो गए। झड़प तब शुरू हुई, जब उन्हें मुख्यमंत्री के बंगले की ओर मार्च करने से रोका गया। 100 घायल छात्रों में से कम से कम दस पैलेट गन से गंभीर रूप से घायल हो गए। शिकायतकर्ताओं ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया कि राज्य पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय बलों ने शांतिपूर्ण छात्रों पर बिना किसी चेतावनी के अत्यधिक बल का प्रयोग किया, जब वे रैली निकाल रहे थे, जिसके परिणामस्वरूप कई छात्र घायल हो गए। एक शिकायतकर्ता के अनुसार, इम्फाल पश्चिम के मोइरांगखोम में सुरक्षाकर्मियों ने एक छात्र को सड़क पर लिटाकर उसके साथ मारपीट की। शिकायत में छात्रों से मारपीट के अन्य मामलों का भी जिक्र किया गया है। आयोग ने पुलिस महानिदेशक से 9 नवंबर या उससे पहले स्थिति रिपोर्ट सौंपने को भी कहा।