प्राकृतिक आपदाओं में 1.38 लाख लोगों की गई जान, जानें बाढ़ पर क्या बोले IMD चीफ

द ब्लाट न्यूज़ भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में खराब मौसम की वजह से होने वाली मौतों की संख्या में काफी कमी आई है लेकिन सामाजिक-आर्थिक प्रगति के बीच संपत्ति का नुकसान बढ़ रहा है। वर्ष 2013 की केदारनाथ बाढ़ और इस साल हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन एजेंसियों और आम जनता की ओर से पूर्व चेतावनी प्रणाली, पूर्वानुमान, तैयारी, रोकथाम और शमन में भारी सुधार हुआ है।


सामाजिक-आर्थिक प्रगति के कारण संपत्ति का नुकसान बढ़ा
नीति अनुसंधान थिंक टैंक द सेंटर फॉर एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) की एक रिपोर्ट जारी करने के लिए एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, “हम वर्षों से मौतों की संख्या को कम करने में सक्षम रहे हैं, लेकिन संपत्ति का नुकसान बढ़ रहा है क्योंकि देश में सामाजिक-आर्थिक प्रगति बढ़ रही है।” भारत में हर साल बिजली गिरने से 2,500 लोगों की मौत हो जाती है और वज्रपात एक चुनौती बन गई है, जबकि हमने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों जैसी आपदाओं का लगभग मुकाबला किया है और उन पर विजय प्राप्त की है। “बिजली गिरना एक बहुत ही त्वरित घटना है और ऐसा होने में कम समय लगता है।

इसकी भविष्यवाणी भी मुश्किल है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भारत मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान ने बिजली की भविष्यवाणी के लिए एक मॉडलिंग प्रणाली विकसित की है। भारत दुनिया के केवल पांच देशों में से एक है जिसके पास बिजली गिरने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है। उन्होंने कहा कि शहरी आबादी में वृद्धि के साथ, शहरों में बाढ़ की समस्या देश के लिए एक और चुनौती बन गई है। सीईईडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लगभग 72 प्रतिशत जिले अत्यधिक बाढ़ के संपर्क में आ सकते हैं लेकिन उनमें से केवल 25 प्रतिशत में ही बाढ़ के स्तर का पता लगाने का पूर्वानुमान स्टेशन या प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली हैं।

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