द ब्लाट न्यूज़ भीषण गर्मी से जनमानस अकुलाया हुआ है। इस का असर पशुओं पर भी पड़ता है। खास कर दुधारू पशुओं पर प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है। दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है और खपत बढ़ जाती है। मथुरा वृंदावन में इस मौसम में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। बावजूद इसके मिल्क वेंडर से लेकर डेयरी तक किसी की जुबां पर न शब्द नहीं है, जितना चाहें उतना दूध मिलेगा और जब चाहें तब। यह चौंकाने वाला है लेकिन सच है। यदि आप दूध की शुद्धता को परखने लायक समझ नहीं रखते तो बेहतर है कि आप भी दूध पीना छोड़ दें।
पैसा खर्च कर बीमारी मोल लेने में कतई बुद्धिमानी नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भारत में आधे से ज्यादा लोग कैंसर के शिकार होंगे। मिलावटी दूध को इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार बताया गया है। बढ़ती जनसंख्या और पशुओं की घटती संख्या के बावजूद दूध की उपलब्धता में कोई कमी नहीं है। मुडिया मेला जैसे अवसरों पर भी कभी कहीं दूध की कोई कमी सामने नहीं आती है। वैण्डर हर घर में उतना ही दूध पहुंचाते हैं जितना पहले पहुंचा रहे थे। कहीं से भी दूध की कमी होने की कोई शिकायत नहीं आती। प्रशासन की ओर से भी कभी यह नहीं बताया गया इस दौरान बढी दूध की मांग की पूर्ति कैसे की जाती है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मथुरा के मुताबिक वर्तमान में जनपद में लगभग दो लाख 14 हजार गौ वंश हैं, पांच लाख 76 हजार भैंस वंश के पशु हैं।
जनपद में खुरपका और मुंहपका का शत प्रतिशत टीकाकरण और टैगिंग करने के लिए यही आंकड़े उपयोग किए जा रहे हैं। वर्ष 2019 तक कुल 20 बार पशुओं की गणना हो चुकी है। 2012 में हुई 19 वीं गणना में पिछले वर्षों की तुलना में पशुओं की संख्या में इजाफा हुआ था। अब 20वीं गणना में पशुओं की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गई है। 20 वीं पशु गणना में 214236 कुल गायों की संख्या थी जबकि 576556 भैंसों की संख्या थी। भरोसे की आड़ में लोग आपके और आपके नौनिहालों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। गली गली में दर्जनों डेयरी हैं लेकिन खाद्य विभाग को समय समय पर नमूने लेने की फुर्सत ही नहीं।
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