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मथुरा। गंगा दशहरा पर लोगों ने यमुना नदी और पवित्र सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाई। स्नान के बाद मंदिरों में दर्शन किये और दान पुण्य कर पुण्य कमाया। स्नान पर्व पर प्रशासन की ओर से भी चाक चौबंद व्यवस्था की गई थी। मथुरा में विश्राम घाट सहित आसपास के सभी घाटों सहित विश्राम घाट के सामने स्थित कच्चे घाटों पर भी व्यवस्था की गई थी। मंगलवार को गंगा दशहरा का पर्व मनाया गया। दशहरा पर्व पर नदियों और सरोवरों में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। यमुना नदी मंे स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर दराज से पहुंचे। कैम्प कार्यालय बनाने के साथ ही 12 गोताखोर एवं 20 नाव (स्टीमर सम्मिलित) की व्यवस्था की गयी थी। नगर निगम के कर्मचारियों की शिफ्टवाइज ड्यूटी लगाई गई। इसके साथ ही स्टीमर के साथ पीएसी जवान भी तैनात रहे। सूर्य की किरणों के फैलाने से पहले ही घाट गुलजार हो गये थे। स्नान के बाद मंदिरों में दर्शन किए और ठाकुर जी से मन्नत मांगी। इस दिन शीतलता पहुंचने वाली वस्तुओं के दान का भी विशेष महत्व माना जाता है। सुराही, हाथ के पंखे आदि का दान किया। इस अवसर पर तरबूज खरबूज की भी खूब बिक्री हुई।
देहात क्षेत्र के घाटों पर नहीं दिखी कोई व्यवस्था;
दशहरा पर मथुरा और वृंदावन में घाटों पर व्यवस्था की गई थी। देहात क्षेत्रों मंे भी घाटों पर स्नान करने के लिए बडी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इस ओर प्रशासन का ध्यान ही नहीं गया। इससे कई जगह पर युवकों की यमुना में डूबने की घटनाएं हुईं। देहात क्षेत्र में बडी संख्या में ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर लोग यमुना में डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां खतरा भी अधिक रहता है।
प्रसिद्ध तालाबों और कुंडों पर भी सुरक्षा नहीं रही;
प्रशासन का पूरा ध्यान मथुरा वृंदावन के प्रमुख घाटों पर होने वाले स्नान पर केन्द्रित रहा। जबकि जितने श्रद्धालु यहां स्नान करते हैं उनसे कहीं ज्यादा श्रद्धालु प्रसिद्ध कुंड और सरोवरों में डुबकी लगाते हैं। यहां सुरक्षा और श्रद्धालुओं के साथ होने वाली डूबने जैसी किसी घटना पर बचाव के उपायों को नजरअंदाज किया गया। यही वजह रही कि मानसी गंगा में भी एक व्यक्ति की डूबने से मौत हो गई।
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