बाघ टी—104 को रास नहीं आया उदयपुर, आने के कुछ घंटों में तोड़ा दम

THE BLAT NEWS:

उदयपुर। रणथंभौर सेंचुरी के सबसे खूंखार बाघ टी—104 को उदयपुर रास नहीं आया। सज्जनगढ़ बायालॉजिकल पार्क में शिफ्ट किए जाने के कुछ घंटों बाद ही उसने दम तोड़ दिया। इससे पहले वह साढ़े तीन साल से रणथंभौर से तालडा रेंज के भिड़ नाका स्थित एनक्लोजर में कैद था और मंगलवार सुबह उसे उदयपुर के लिए रवाना किया गया था। वन विभाग के अधिकारियों ने टी—104 के मौत की पुष्टि तो की है लेकिन मौत के कारणों का खुलासा नहीं किया।

Tiger T-104 did not like Udaipur, died in few hours of arrival - Udaipur News in Hindi
रात में पानी भी पीया, खाना भी खाया;
उदयपुर सज्जनगढ़ सेंचुरी के डीएफओ अजय चित्तौड़ा ने बताया साढ़े 6 साल के बाघ इस टी-104 को इंसानों की जान लेने पर जंगल से बाहर कर उदयपुर शिफ्ट किया था। टाइगर टी 104 की मौत का हमें अलसुबह पता लगा। गर्मी ज्यादा होने पर उसे रणथम्भौर से एसी वाहन में वाया रोड़ लेकर उदयपुर आए थे। शाम को उसे बायोलॉजिकल पार्क में सुरक्षित छोड़ा था। रात में उसने पानी पीया और थोड़ा खाना भी खाया था। अचानक उसकी तबीयत रात में ही बिगड़ी है।
इंसानों को खतरा बताकर भेजा था उदयपुर;
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथोरिटी ने टाइगर टी 104 की शिफ्टिंग को लेकर एक कमेटी का गठन किया था। उसके स्वभाव के अध्ययन के लिए बनी कमेटी ने उसे उग्र तथा इंसानों के लिए खतरा बताया था। जिसके बाद उसे रणथंभौर से हमेशा के लिए उदयपुर के सज्जनगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क भेजने का निर्णय लिया था। जबकि वह साढ़े तीन साल से रणथंभौर के भिड़ नाके के एनक्लोजर में कैद था।

तीन लोगों की ले चुका था जान;
बाघ 104 को रणथंभौर का सबसे खूंखार बाघ इसलिए माना जाता था कि वह बेहद उग्र था और तीन लोगों की जान ले चुका था। हालांकि वह रणथंभौर सेन्चुरी के सबसे खूबसूरत बाघों में शुमार था। 30 जुलाई 2019 को उसने करौली के दुगेशी घाटा गांव में रामचंद माली, 12 सितंबर 2019 करौली के सिमिर बाग गांव में पिंटू सैनी और फरवरी 2019 में एक महिला पर हमला कर उसका शिकार कर लिया था।
उदयपुर बाघों के लिए मुफीद नहीं रहा, इससे पहले टी-24 की मौत चुकी;
उदयपुर की आवोहवा कभी बाघों के लिए मुफीद हुआ करती थी। टी 104 के उदयपुर आते ही दम तोडऩे से इस बात को हवा लगी है। इससे पहले उस्ताद नाम से मशहूर बाघ टी—24 की गए साल अक्टूबर में मौत हो चुकी है। हालांकि बोन कैंसर के चलते उसकी मौत हुई लेकिन पशुविज्ञानियों का कहना है कि अब उदयपुर का मौसम बाघों के अनुकूल नहीं। सत्तर के दशक के बाद यहां से बाघ लुप्त हो गए थे और उसके बाद यहां के मौसम में गर्मी का असर लगातार बढ़ रहा है।

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