अलीगढ़: रसोई के बीच 1 से कक्षा 5 तक के करीब 40 बच्चे एक कमरे में बैठकर करते हैं पढ़ाई? जाने क्या होगा शिक्षा का स्तर

द ब्लाट न्यूज़ में बेसिक शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए पैसे को पानी की तरह सरकारी प्राथमिक विद्यालयों पर बहा रहे हैं। लेकिन सरकार के द्वारा प्राथमिक विद्यालय पर पानी की तरह पैसा बहाएं जाने के बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात नजर आ रहा है?

 

 

 

क्योंकि शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही का ऐसा ही एक मामला अलीगढ़ जिले से निकल कर सामने आया है। जहां सरकारी स्कूल के एक ही कमरे संचालित रसोई के बीच कक्षा 1 से लेकर 5 तक की कक्षाओं के बच्चों को शिक्षकों के द्वारा पढ़ाने का काम किया जा रहा है। आप इन तस्वीरों को देखकर खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर खस्ता हालत में जर्जर के कमरे में बैठकर कक्षा 01 से लेकर कक्षा 5वी तक के बच्चे कैसे अध्ययन कर पा रहे होंगे? आपको बता दें कि शिक्षा का ये स्तर उत्तर प्रदेश के किसी और जिले का नहीं? बल्कि उत्तर प्रदेश के उस जिले का है,जिस जिले के मूलनिवासी खुद प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार बेहतर शिक्षा देने के लाख दावे करती हुई थक नहीं रही है। लेकिन यह तस्वीर प्रदेश सरकार की बेहतर शिक्षा देने के दावे की पोल खोलती हुई नजर आ रही है?

आपको बताते चलें कि जनपद अलीगढ़ के विभिन्न इलाकों में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा सरकारी स्कूल संचालित किए जाते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के इन सरकारी प्राथमिक स्कूल की दुर्दशा क्या है। इसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए अलीगढ़ महानगर के बेला मार्ग स्थित प्राइमरी पाठशाला 29,44,41 पर पहुंचे, जहां प्राइमरी पाठशाला स्कूल के एक कमरे के अंदर कक्षा 1 से लेकर 5 वीं कक्षा के बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हुए दिखाई दिए, जो कमरा करीब 10 वाई 12 फुट का होगा। स्कूल के इस कमरे के अंदर बच्चों के साथ-साथ अन्य सामान भी रखा हुआ है। जिसको देखने के बाद इस बात से बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता कि यहां बच्चे पढ़ाई करने नहीं बल्कि खाली बैठने के लिए आते हैं।

स्कूल के एक कमरे के अंदर कक्षा 1 से लेकर 5 तक की पढ़ाई कर रहे छात्रों को लेकर जब स्कूल की प्रधानाचार्य से इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि यहां बच्चे केवल बैठे हुए हैं, बच्चों को पढ़ाई अन्य जगह पर कराई जाती है। लेकिन स्कूल के पूरे कैंपस में दूसरी जगह पढ़ाई की कहीं जगह दिखाई नहीं दे रही है। जिसस अंदाजा लगाने के साथ ही साफ पता चलता है कि सरकार के सरकारी प्राथमिक स्कूलों की दुर्दशा काफी नाजुक है।इन तस्वीरों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि बैठाने के लिए बुलाते है। ऐसे में अगर सरकारी स्कूल के एक कमरे में 1 से लेकर 5 तक के बच्चों को शिक्षकों द्वारा अलग-अलग समय पर पढ़ाया जाता होगा, तो एक ही कमरे में बैठकर पढ़ाई करने वाले दूसरी क्लास के बच्चों को जरूर डिस्टरबेंस पैदा होता होगा। जिससे उस कमरे में बैठे उन छात्रों की पढ़ाई तो नहीं होती होगी। बल्कि स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आए बच्चों का टाइम पास जरूर होता होगा?

प्राइमरी पाठशाला 29,44,41 कि प्रधानाध्यापक नीता से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इसी कमरे के अंदर 1 से लेकर 5 वीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं। जबकि स्कूल का और कमरा मानक के हिसाब से छोटा है, और इस कमरे के अंदर बैठकर करीब 40 बच्चे पढ़ाई करते हैं,ओर कुछ कुछ बच्चे बाहर भी बैठते हैं और इस कमरे के अंदर सामान भी रखा हुआ है, 5th क्लास में 8 बच्चे, दूसरी क्लास में 3 बच्चे,4 क्लास में 12 बच्चे,1 पहली क्लास में 12 बच्चे, पढ़ाई करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर इस कमरे में एक साथ बैठकर 40 बच्चे पढ़ाई करते हैं।

वही जब विष्णुपुरी स्थित कन्या प्राइमरी पाठशाला संख्या 27 के सरकारी प्राथमिक स्कूल जर्जर हालात में है और इस स्कूल पर भी एक ही कमरा है, स्कूल का एक कमरे के अंदर भी 1 से लेकर 5 तक की क्लास संचालित की जाती हैं, और यहां 3 शिक्षक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए आए हैं, अगर बात स्कूल के कमरे की की जाए तो कमरा पूरी तरह से जर्जर हालात में हैं यहीं पर बच्चो को दिए जाने वाला खाना बनाया जाता है और यहीं पर बच्चों को पढ़ाया जाता है, वही जब संबंध स्कूल की प्रधानाध्यापिका विनीता गुप्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि स्कूल में कुल 39 बच्चे हैं और एक ही कमरे में यह बच्चे पढ़ाई करते हैं वही जब स्कूल की प्रधानाध्यापिका से पूछा गया कि आज आपके स्कूल में कितने बच्चे पढ़ने आए हैं तो उन्होंने बताया कि 25 बच्चे स्कूल में पढ़ाई करने आए हैं लेकिन मौके पर तीन बच्चे ही ड्रेस पहने हुए बैठे दिखाई दिए इससे पता चलता है कि स्कूल में बच्चे पढ़ाई करने नहीं आते वही बच्चों के अभिभावक स्कूल में बैठे जरूर नजर आए।

वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी अलीगढ़ सत्येंद्र कुमार का कहना है कि अलीगढ़ महानगर में नए स्कूल बनाने की कवायद की जा रही है और कुछ समय से एक ही कमरे में 1 से लेकर 5 तक की क्लास संचालित कराई जा रही हैं। जिससे बच्चों को पढ़ाया जा सके, लेकिन कई स्कूल ऐसे हैं। जहां बच्चों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। वहीं जब बेसिक शिक्षा अधिकारी से पूछा गया कि एक ही कमरे में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, साथ ही उसी कमरे में खाना भी बनाया जा रहा है और बच्चों को टॉयलेट करने के लिए अपने घर जाना पड़ता है। जिस सवाल के जवाब पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि ऐसा कहीं कोई मामला उनकी संज्ञान में नहीं आया? अगर ऐसा कोई मामला संज्ञान में आएगा तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। लेकिन नए स्कूल बनाने की कार्यवाही की जा रही है। जिसके लिए शासन के द्वारा बजट आवंटित कर दिया गया है।

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