THE BLAT NEWS:
प्रयागराज। नौटंकी प्राचीन मनोरंजन कला है। इसे स्वांग, स्वार आदि नाम से भी जाना जाता था। ग्रामीण क्षेत्रों में मनोरंजन का माध्यम नौटंकी ही था। आज यह विलुप्त होने के कगार पर है। यह विचार अधिवक्ता बाल कृष्ण पांडेय ने संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से सरदार बल्लभ भाई पटेल खादी ग्रामोद्योग विकास सेवा आश्रम द्वारा बोंगी में नौटंकी विधा की वर्तमान स्थिति तथा चुनौतियां विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि ब्यक्त किया। उन्होंने युवा कलाकारों से इसे जीवंत बनाये रखने की अपील किया।
सर्वप्रथम लोक नाट्य कलाकर वेदानन्द ने सभी अतिथियों का माल्यार्पण करके स्वागत किया। युवा नौटंकी लोक कलाकर संतोष ने बताया कि उनके द्वारा उत्तर प्रदेश ही नही अन्य प्रदेशों में भी नौटंकी कला का मंचन किया जा रहा है। विशिष्ट अतिथि समाज शेखर प्राण ने बताया कि बचपन मे गांवो मे जब कही नौटंकी होती थी तो नक्कारे की आवाज सुनकर रात में दूर तक देखने जाते थे। आज नौटंकी कही देखने को नही मिलती।
प्रख्यात नौटंकी लेखक कवि रामलोचन विश्वकर्मा सावरिया ने बताया कि नौटंकी हमारी प्राची मनोरंजन की विधा है। मैंने 100 से ज्यादा सांगीत क़िताबों को लिखा। आज इसके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगता जा रहा है।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जे एन यादव पूर्व जिला सूचना अधिकारी ने बताया कि अपने प्रशासनिक कार्यकाल में लोक सांगीत लोक गीत कलाकारों को मंचन के लिये प्रोत्साहित करता था। नौटंकी ग्रामीण मनोरंजन का पुराना माध्यम है। हम लोग नौटंकी का नाम सुनकर घरवालों के चोरी से देखने जाते थे। सुबह के पहले घर आकर सो जाते थे। उस समय लोगो के लिये नौटँकी ही सुलभ विधा थी। आज भी इसके चाहनेवाले बहुत है लेकिन पुरानी नौटंकी का स्वरूप बदलता जा रहा है। भविष्य में युवाओं को इस विधा के संरक्षण के लिये आगे आना होगा। संचालन देवेन्द्र कुमार शर्मा ने किया।इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा पूजा के फूल नौटंकी का मंचन किया गया।