THE BLAT NEWS:
मथुरा, राधारानी की ननिहाल गांव मुखराई का चरकुला नृत्य का आयोजन 9 मार्च को होगा। महिलाओं ने नृत्य का अभ्यास शुरू कर दिया है। ब्रज में जहां भी होली महोत्सव का आयोजन होता है, वहां चरकुला नृत्य का आयोजन देखने को मिलता है। चूंकि चरकुला नृत्य होली का हिस्सा बना चुका है। चाहे मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि की होली हो या बरसाना की लठामार होली। चरकुला नृत्य के बिना होली का कार्यक्रम अधूरा सा दिखाई देता है।मान्यता के अनुसार होली के दूसरे दिन गांव मुखराई में ग्रामीण महिलाओं द्वारा 108 जलते दीपों के साथ चरकुला नृत्य की परंपरा का निर्वाहन करती है। इस बार भी चरकुला नृत्य को लेकर महिलाएं तैयारियों में जुट गई हैं। इस अनूठी परंपरा का ब्रज की माटी से ही नहीं सात समुद्र पार तक आकर्षण बना हुआ है। मुखराई के चरकुला नृत्य की थाईलैंड, रूस, जर्मन, जापान, मॉरीशस, दुवई, इटली, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि विदेशी मंचों पर प्रस्तुति दी जा चुकी है।
9 मार्च को मुखराई में होगा चरकुला नृत्य का आयोजन’THE BLAT NEWS’
राधारानी के जन्म से जुड़ी है चरकुला नृत्य की कला:
चरकुला नृत्य की कला राधारानी के जन्म से जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भाद्र मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी को पिता वृषभानु और माता कीरत का आंगन आदि शक्ति राधारानी की किलकारियों से गूंज उठा था, जब यह बात राधारानी की नानी मुखरा देवी ने सुनी तो वह बहुत खुश हुईं। राधारानी के जन्म की खुशी में नानी मुखरा देवी ने आंगन में रखे गाड़ी (रथ) के पहिये पर 108 दीपक जलाकर सिर पर रखकर नृत्य किया। इसी को चरकुला नृत्य कहा गया। होली के दूसरे दिन गांव मुखराई में ग्रामीण महिलाएं 108 जलते दीपकों के साथ चरकुला नृत्य की परंपरा का निर्वाहन करती हैं।
1980 के बाद गांव से बाहर होने लगे आयोजन:
दानी शर्मा ने बताया कि 1980 से पहले चरकुला नृत्य गांव की सीमा से बाहर नहीं गया था। बदलती सोच और समय के अनुसार मुखराई के कलाकारों द्वारा चरकुला नृत्य का आयोजन श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में किया गया। इसके बाद चरकुला नृत्य की प्रस्तुति विदेशी मंच मॉरीशस में दी गई। इसके बाद ब्रज के साथ-साथ विदेशों में भी चरकुला नृत्य की लोकप्रियता बढ़ती गई। 9 मार्च को मुखराई में चरकुला नृत्य का आयोजन होगा।
गांव में चंदा से रूपये इकठ्ठे कर ग्रामीण करते हैं आयोजन:
मुखराई का चरकुला नृत्य बेशक है विश्व स्तर पर अपनी पहचान रखता हो, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से उपेक्षा का शिकार है। मुखराई के ग्रामीण प्रतिवर्ष गांव में चंदा इकट्ठा कर इस नृत्य को निर्वाहन करते हैं। सांस्कृतिक एवं पर्यटन विभाग की ओर से इसके लिए कोई बजट नहीं दिया जाता है।
राधारानी की ननिहाल गांव मुखराई में चरकुला नृत्य करतीं महिलाएं।
The Blat Hindi News & Information Website
