सरयू नदी के तट पर 17 लाख दीये जलाए गए,धूमधाम से मनाया दीपोत्सव…

अयोध्या, द ब्लाट। उत्तर प्रदेश की राम नगरी कहे जाने वाली अयोध्या में रविवार को खूब धूमधाम से दीपोत्सव मनाया गया. दीपोत्सव में 17 लाख दीये जलाए गए. सरयू पर स्वर्गलोक उतर आया है. इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने दर्शन किया और आरती की. पीएम मोदी ने यहां कहा कि आज अयोध्या जी, दीपों से दिव्य हैं, भावनाओं से भव्य हैं, आज अयोध्या नगरी, भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है. हमने त्रेता की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए, लेकिन प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से आज हम अमृतकाल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के साक्षी बन रहे हैं।

दीपोत्सव में वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया है. यहां दिवाली की पर्व संध्या पर सरयू तट पर एक साथ 15 लाख 76 हजार दीये जलाए गए। भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में दीपावली समारोह के अंतर्गत रविवार को यहां भव्य दीपोत्सव मनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने इस मौके पर प्रधानमंत्री का स्वागत और अभिनंदन किया।


इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या पहुंचकर सबके पहले राम जन्मभूमि पर रामलला की पूजा अर्चना की
राममंदिर के निर्माण के लिये पांच अगस्त 2020 को ‘भूमि पूजन’ के बाद प्रधानमंत्री का यह पहला अयोध्या दौरा है। दीपोत्सव समारोह में शामिल होने के लिये अयोध्या पहुंचने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री राम मंदिर पहुंचे और रामलला की पूजा अर्चना की. प्रधानमंत्री के अयोध्या पहुंचने पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी अगवानी की।


ये कहा प्रधानमंत्री ने 

प्रधानमंत्री ने कहा, इस बार लालकिले से मैंने सभी देशवासियों को पंच प्राणओं को आत्मसात करने का आह्वान किया है। इन पंच प्राणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी हुई है वो भारत के नागरिकों का कर्तव्य है। आज दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है। श्रीराम से जितना सीख सकें उतना सीखना है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं। मर्यादा मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी सिखाती है।

हमारे धर्मग्रंथों में कहा गया है, ‘रामों विग्रहवान धर्मः’ अर्थात राम साक्षात धर्म के ज्ञानी कर्तव्य के सजीव स्वरूप हैं। भगवान राम जब जिस भूमिका में रहे, उन्होंने कर्तव्यों पर सबसे ज्यादा बल दिया। जब वो राजकुमार थे तब ऋषियों की, उनके आश्रमों की रक्षा की। राज्याभिषेक के समय श्रीराम ने आज्ञाकारी बेटे का कर्तव्य निभाया।

Edited by: Rishabh Tiwari 

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