द ब्लाट न्यूज़ । जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास और संस्कृति विभाग ने सोमवार को विश्वविद्यालय के नेहरू गेस्ट हाउस में प्रोफेसर माइकल कैलाब्रिया (बोनावेंचर यूनिवर्सिटी, यूएसए) द्वारा ‘ताजमहल की रूहानियत’ विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया। जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और वक्तव्य दिया। कुलपति ने ताजमहल के निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में बताया। मुमताज महल के इंतकाल के बारे में कुलपति की अंतर्दृष्टि से दर्शक प्रभावित हुए।
प्रो. कैलाब्रिया का व्याख्यान ताजमहल की भाषा और उसमें निहित रूहानी संदेश पर था। उन्होंने ताज की गहरी समझ और उसके शिलालेखों की जांच करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ताजमहल को सुशोभित करने वाले कुरान की आयतों को शाहजहां ने सावधानीपूर्वक चुना था। इनमें कुरान के बाईस अलग-अलग पारों की आयतें शामिल हैं। ये छंद आगंतुकों को विनम्र, मानवीय, दयालु और उदार होने की याद दिलाते हैं लेकिन प्रोफेसर को लगा कि दुर्भाग्य से उनका अर्थ और महत्व उनमें से अधिकांश तक पहुंच नहीं पाता। शाहजहां चाहता था कि आगंतुकों को इस दुनिया में अपने स्वयं के अपरिहार्य अंत की याद दिलाई जाए। सुलेख के माध्यम से उन्होंने आध्यात्मिकता और मानवता के सबसे बड़े गुण के रूप में याद दिलाने की कोशिश की।