आधारहीन याचिका दाखिल करने पर कोर्ट ने जुर्माना लगाया

 

द ब्लाट न्यूज़ । उच्च न्यायालय ने आधारहीन जनहित याचिका दाखिल किए जाने पर कड़ा रुख अपनाया है। राजधानी में 170 अधिक शराब कारोबारियों का उत्पीड़न कर उनकी दुकानें बंद करने वाले सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की पहचान करने का आदेश देने की मांग करने वाले अधिवक्ता ‌पर उच्च न्यायालय ने 1 लाख रुपये जुर्माना लगाया है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सीबीआई और ईडी के एक भी ऐसे अधिकारी का नाम नहीं बताया है, जिसने शराब कारोबारियों का उत्पीड़न किया है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता नरिंदर खन्ना द्वारा दाखिल याचिका कानूनी प्रक्रिया के सरासर दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है। याचिकाकर्ता अस्पष्ट और बेतुके आरोपों के आधार पर मामले की घुमावदार जांच चाहते हैं। पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने खन्ना को एक लाख रुपये सेना युद्ध विधवा कोष (आर्मी वार विडो फंड) में जमा कराने का आदेश दिया है। न्यायालय ने 8 सितंबर के आदेश में याचिकाकर्ता को रुपये जमा कराने के लिए 30 दिन का वक्त दिया है।

 

न्यायाल‌य ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता 30 दिन के भीतर रकम जमा नहीं कराता है तो नई दिल्ली जिला एसडीएम याचिकाकर्ता से रकम की वसूली कर इसे सेना युद्ध विधवा कोष में जमा कराएं। उच्च न्यायालय ने 5 सितंबर को इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी ने याचिका का विरोध किया था। उन्होंने याचिका को भारी जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की थी।

 

 

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