द ब्लाट न्यूज़ । अपहरण के आरोप में फंसे पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधान पार्षद कार्तिक कुमार की जमानत की अर्जी गुरुवार को दानापुर की अदालत ने खारिज कर दी। तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) सत्यनारायण शिवहरे ने उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए श्री कार्तिक कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी। कुमार के खिलाफ अपहरण के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी है, जिस पर इसी अदालत ने एक सितंबर तक किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था।
कुमार पर आरोप है कि जिस दिन उन्हें इस मामले में अदालत में आत्मसमर्पण करना था उसी दिन उन्होंने राजभवन में मंत्री पद की शपथ ली। यह मामला मीडिया में उजागर होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार पर जमकर हमले किए। इसके बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सलाह पर श्री कार्तिक कुमार का विभाग बदल दिया गया। उन्हें विधि विभाग से हटाकर गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेदारी दे दी गई। मुख्यमंत्री के इस फैसले के 24 घंटे के अंदर ही मंत्री कार्तिक कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
गौरतलब है कि बाहुबली अनंत सिंह के करीबी कार्तिक कुमार इसी वर्ष स्थानीय प्राधिकार से बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे। उनके खिलाफ पटना जिले के बिहटा थाना में आठ साल पहले एक बिल्डर के अपहरण का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में अनंत सिंह भी अभियुक्त है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मामले की उन्हें पहले ही जानकारी मिल गई थी इसलिए उन्होंने कार्तिक कुमार से इस्तीफा ले लिया था। उधर भाजपा के राज्यसभा सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कार्तिक कुमार को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की और कहा कि उनके खिलाफ वारंट जारी है इसलिए उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।