द ब्लाट न्यूज़ । इलाज में लापरवाही के कारण अपनी पत्नी की मौत के आरोपों में फंसे पति को अदालत ने आरोपमुक्त कर दिया है। दिल्ली में अपने पति के साथ रहने के एक महीने के भीतर पत्नी बेहोश पाई गई और बाद में उसे अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण सुखिजा की अदालत ने एक मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार महिला की मृत्यु सूजन के कारण हुई थी। जो यकृत में लंबे समय तक और पुराने संक्रमण की बीमारी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट है कि महिला की मौत से दो से तीन महीने पहले से उसके यकृत में संक्रमण था। सत्र अदातल ने कहा कि जबकि महिला की मौत पति के साथ रहने के एक महीने के भीतर हुई। इससे यह स्पष्ट था कि अपने पिता के घर रहने के दौरान उसे संक्रमण हो गया था। जब महिला जून 2012 में एक डॉक्टर के पास गई, तो डॉक्टर ने उसे बताया था कि वह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रही है।
हालांकि अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ता की ओर से भी कुछ लापरवाही हो सकती है। उस समय शिकायतकर्ता की बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। अदलत ने माना कि मृतका के पिता को सूचित करना चाहिए था, लेकिन बीमारी की सूचना ना देना कोई अपराध नहीं है। जून 2009 में दोनों की शादी हुई थी। 30 मई 2012 को महिला पति के साथ रहने दिल्ली आई। महिला की बीमारी की वजह से 2 जुलाई 2012 को मृत्यु हो गई थी। मृतक के पिता ने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दहेज के लिए प्रताड़ित करने एवं लापरवाही से मौत का मामला दर्ज कराया था। सत्र अदालत ने पति को लापरवाही से मौत के मामले को भी रद्द कर दिया है।