बाराबंकी। बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट तहसील में मस्जिद ढहाए जाने के मामले में एक समाचार पोर्टल द्वारा कथित रूप से गलत एवं निराधार तथ्यों पर आधारित खबर प्रसारित किए जाने के मामले में समाचार पोर्टल के दो कर्मचारियों सहित चार लोगों के खिलाफ बाराबंकी पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने शुक्रवार को दावा किया कि रामसनेहीघाट तहसील परिसर से संबंधित एक वीडियो 23 जून को एक समाचार पोर्टल ने अपने ट्विटर हैंडल पर जारी किया था जिसमें दिखाए गए तथ्य निराधार और असत्य थे। उन्होंने आरोप लगाया कि खबर को सनसनीखेज बनाकर भ्रामक एवं असत्य बातों को फैलाकर समाज में वैमनस्यता एवं धार्मिक उन्माद फैलाने तथा सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश के आरोप में बृहस्पतिवार रात मामला दर्ज किया गया है।
कोतवाली प्रभारी सच्चिदानंद राय ने बताया इस मामले में पोर्टल के दो कर्मचारियों तथा दो अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। उन्होंने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि 17 मई को तहसील प्रशासन ने तहसील भवन में स्थित एक मस्जिद को गिरा दिया था। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी सोन कुमार के अनुसार यह जमीन सरकारी है और इस पर भवन निर्माण पूरी तरह अवैध था। इस संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में दो रिट याचिकाएं भी दाखिल की गई हैं। याचिकाओं में कहा गया है कि मस्जिद राजस्व रिकॉर्ड में आबादी भूमि के रूप में दर्ज भूमि पर सौ साल से खड़ी थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि रामसनेहीघाट के तत्कालीन उप जिलाधिकारी ने व्यक्तिगत रंजिश और दुर्भावना के कारण 17 मई, 2021 को इसे गिरा दिया था और इसके लिए सीआरपीसी की धारा 133 के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल किया था।